खास बात - साल 1990 में भारत का जीएचआई अंक 32.6 था, साल 1995 में यह अंक 27.1, साल 2000 में 24.8, साल 2005 में 24.0 तथा साल 2013 में 21.3 था। साल 2013 में भारत का जीएचआई अंक(21.3) चीन (5.5), श्रीलंका (15.6), नेपाल (17.3), पाकिस्तान (19.3) और बांग्लादेश (19.4) से बदतर है।@ -साल १९८३ में देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी उपभोग २३०९ किलो कैलोरी का था जो साल १९९८ में घटकर २०१०...
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नरेगा और सोशल ऑडिट
खास बात • मनरेगा में वित्तवर्ष 2015-16 में 235.6 करोड़ व्यक्ति-दिवसों के बराबर रोजगार का सृजन हुआ है. यह पिछले पांच सालों में अधिकतम है. • वित्तवर्ष 2015-16 में कुल 5.35 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत रोजगार की मांग की लेकिन केवल 4.82 करोड़ परिवारों को ही रोजगार दिया जा सका यानी 9.9 फीसद परिवारों को मांग के बावजूद रोजगार नहीं हासिल हुआ. • वित्तवर्ष 2015-16 में मनरेगा में प्रति परिवार औसतन 49 व्यक्ति दिवसों के बराबर...
More »मानवाधिकार
खास बात • साल 2014 में बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की घटनाओं में तेज इजाफा हुआ। पिछले (साल के 23 प्रतिशत से बढ़कर 2014 में 50 प्रतिशत) * • भारत की आबादी का 1.14 प्रतिशत हिस्सा यानी तकरीबन 1 करोड़ 40 लाख लोग गुलामी के आधुनिक रुपों के शिकार हैं। ** • साल २००६ में भारत में १४२३ कैदियों की प्राकृतिक अथवा अप्राकृतिक कारणों से जेलों में मौत हुई।*** • उत्तरप्रदेश में...
More »सवाल सेहत का
खास बात • सिर्फ 10 फीसदी भारतीयों के पास हेल्थ इंश्योरेन्स है और यह बीमा भी उनकी सेहत की जरुरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। *** • अस्पताल में भर्ती भारतीय को अपनी सालाना आमदनी का 58 फीसदी इस मद में व्यय करना पड़ता है।*** • तकरीबन 25 फीसदी भारतीय सिर्फ अस्पताली खर्चे के कारण गरीबी रेखा से नीचे हैं। *** • सेहत के मद में होने वाले खर्चे का सवाल बड़ा चिन्ताजनक है। सालाना 10 करोड़ लोग...
More »पलायन (माइग्रेशन)
खास बात • किसी प्रांत से उसी प्रांत में और किसी एक प्रांत से दूसरे प्रांत में पलायन करने वालों की संख्या पिछले एक दशक में ९ करोड़ ८० लाख तक जा पहुंची है। इसमें ६ करोड़ १० लाख लोगों ने ग्रामीण से ग्रामीण इलाकों में और ३ करोड़ ६० लाख लोगों ने गावों से शहरों की ओर पलायन किया। # • पिछले एक दशक को आधार मानकर अगर इस बात की गणना करें कि किसी वासस्थान को छोड़कर कितने लोग दूसरी जगह रहने...
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