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युवा बेरोजगारी भारत के लिए संकट- रविदत्त वाजपेयी

यह एक सुखद आश्चर्य है कि शताब्दियों का इतिहास संजोये रखने के बाद, आज भी भारत को एक युवा देश माना जाता है. सबसे विस्मयकारी तथ्य यह है कि इस सौभाग्य का श्रेय भारत की उस प्रचुर जनसंख्या को दिया जाता है जिसके विशाल आकार को लंबे समय से भारत की सबसे बड़ी समस्या बताया गया था. आखिरकार भारत की इतनी बड़ी आबादी जनसंख्या आपदा से जनसंख्या संपदा में कैसे...

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घरेलू नौकरों के जीवन और जीविका की दशा पर परिचर्चा

इन्क्लूसिव मीडिया फॉर चेंज, सीएसडीएस, द्वारा आयोजित परिचर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं   विषय- Work like any other? Accounting for domestic work in India वक्ता: भारती बिरला, राष्ट्रीय परियोजना समायोजनक, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन(ILO)   नीता पिल्लई, प्रोफेसर, सेंटर फॉर विमेन्स डेवलपमेंट स्टडीज          अमरजीत कौर, राष्ट्रीय सचिव, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस   मैक्सिमा एक्का,डोमेस्टिक वर्कर्स फोरम ब्रदर वर्गीज थेकनाथ- समायोजक, डोमेस्टिक वर्कर्स फोरम ऑव इंडिया   तारीख: 19 फरवरी ∣ स्थान: प्रेस क्लब ऑव इंडिया ∣ समय:...

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दूध से मुनाफे की धार

मध्य प्रदेश के शिवपुरी की कुछ महिलाएं दूध की कंपनी बनाकर न सिर्फ खुद अच्छी कमाई कर रही हैं, बल्कि उन्होंने आसपास के गावों की महिलाओं को भी अपने पैरों पर खड़े होने का मौका दिया है। कंपनी बाजार में अपने मिल्क प्रोडक्ट्स उतारने के बारे में सोच रही है... 6,000 रुपये हर महीने कमा रही है, कंपनी से जुड़ी प्रत्येक महिला 30 महीने पहले...

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'हमारे सामने अवसर बड़ा, झोली छोटी'- योगेन्द्र यादव

डॉ योगेंद्र यादव जाने-माने चुनावी विश्लेषक रहे हैं. देश के कई जनांदोलनों में उन्होंने सक्रिय भागीदारी की है. आम आदमी पार्टी के एक प्रमुख चेहरे के रूप में वह देश के जनांदोलनों को एक मंच पर लाकर अपनी पार्टी को राष्ट्रीय स्वरूप देने की कोशिश में जुटे हैं. पेश है ‘आप’ की राष्ट्रीय राजनीति, रणनीति  और लोकसभा चुनाव में उसके लिए संभावनाओं पर डॉ योगेंद्र यादव से प्रभात खबर के...

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चमक में छिपा अधेरा- प्रदीप सती

ताजमहल के बारे में कहा जाता है कि इसे बनवाने वाले मुख्य कारीगर के हाथ कटवा दिए गए थे ताकि वह फिर कोई ऐसी सुंदर इमारत न बना सके. ताजमहल से लेकर चीन की दीवार तक हुए बेहतरीन निर्माणों की जब भी बात होती है तो इन्हें बनाने वाले शिल्पियों के साथ हुए अन्याय के बहुत-से किस्से मिलते हैं. यह अन्याय 21वीं सदी तक भी जारी है. राजधानी दिल्ली की तस्वीर...

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