देहरादून। वर्ष 2008-09 में उत्तराखंड की कृषि विकास दर ऋणात्मक रही है। इसकी प्रमुख वजह सूखा और तकनीकी सुधार में खामी को बताया जा रहा है। आने वाले दो वर्षो में वर्षा की स्थिति पर राज्य की कृषि विकास दर निर्भर करेगी। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के मध्यवर्ती मूल्यांकन में ये तथ्य सामने आए हैं। मूल्यांकन में बताया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर दसवीं पंचवर्षीय योजना में कृषि के...
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हरियाणा और पंजाब से लेना होगा सबक
चंडीगढ़ [भारत डोगरा]। आज से चार-पांच दशक पहले हरित क्रांति के नाम पर भारतीय कृषि में बड़े बदलाव हुए तो इनका सबसे बड़ा केंद्र पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ पट्टी को बताया गया, जहां पानी की भी कोई कमी नहीं थी। इस क्षेत्र को भारत के खाद्यान्न कटोरे के रूप में विकसित करने पर बहुत निवेश हुआ और सिंचाई, रासायनिक खाद आदि व इनसे जुड़ी सब्सिडी का अधिकांश खर्च...
More »सामुदायिक सिंचाई से सपने लहलहाए
कुचायकोट [गोपालगंज, मनोज राय]। सवनहीं जगदीश गांव के कन्हैया सिंह, वीरेन्द्र सिंह, दुखी सिंह, महावीर सिंह और मंगल सिंह, ये पांच किसान हैं, जिन्होंने वर्ष 2001 में सामुदायिक सिंचाई की छोटी-सी पहल की थी। दस बरस में यह प्रयास कुछ यूं रंग लाया कि सामुदायिक सिंचाई अब कृषि विकास का 'माडल' बन चुका है। पैदावार भी अच्छी होने लगी और मानसून पर से निर्भरता भी घटी। सिंचाई व्यवस्था की इस...
More »हरियाणा में बनेगा किसान आयोग
चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने गुरुवार को कृषि क्षेत्र की आय में आ रही गिरावट और किसानों की समस्याओं के लिए जिम्मेदार कारकों की निगरानी करने के लिए प्रदेश में किसान आयोग का गठन करने की घोषणा की है। हुड्डा ने कहा कि कृषि आयोग किसानों की आय में गिरावट के कारणों का विश्लेषण करेगा और किसानों की आय बढ़ाने के लिए बाजार के मुताबिक फसलों...
More »बारिश न होने से अन्न उत्पादक राज्यों पर संकट
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। देश के प्रमुख अन्न उत्पादक राज्यों में मानसून की देरी से संकट के बादल फिर मंडरा रहे हैं। जून का महीना इस क्षेत्र में खेती के लिए खराब साबित हुआ। इस दौरान इतनी बारिश नहीं हुई कि किसान हल चलाने निकल पड़ता। धान, सोयाबीन और मोटे अनाज की खेती वाले प्रमुख अन्न उत्पादक सात राज्यों में जून में 22 से 82 फीसदी तक कम...
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