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लॉकडाउन : गेहूं किसानों के हितों को देखते हुए सरकार ने खाद्यन्न के पैकेजिंग नियमों में दी ढील

-आउटलुक, कोरोना वायरस के कारण देशभर में 21 दिनों के लॉकडाउन के कारण जूट मिलें बंद है जबकि गेहूं की फसल की कटाई जोरों पर है इसलिए केंद्र सरकार ने खाद्यान्न पैकजिंग के पैकेजिंग नियमों में ढील देते हुए किसानों को गेहूं की पैकेजिंग के लिए पॉलिमर सामग्री से बने बोरों के इस्तेमाल की अनुमति दी है। कपड़ा मंत्रालय के अनुसार इस कदम का मकसद गेहूं किसानों के हितों की रक्षा करना...

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कोरोनावायरस से भारत में 40 करोड़ असंगठित मजदूरों की रोजी-रोटी हो सकती है प्रभावित: आईएलओ

द प्रिंट, कोरोनावायरस संकट और उससे निपटने के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) के कारण भारत में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ लोगों के प्रभावित होने की आशंका है. इससे उनकी नौकरियों और कमाई पर असर पड़ सकता है जिससे वे गरीबी दुष्चक्र में फंस सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (अईएलओ) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह कहा. भारत ने महामारी पर लगाम लगाने के लिये 25 मार्च से...

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कोरोना वायरस को जड़ से मिटाना संभव नहीं: डॉ एंथोनी फाउची

-बीबीसी, कोरोना वायरस को बिना किसी वैक्सीन या असरदार इलाज के पूरी तरह ख़त्म नहीं किया जा सकता. यह कहना है व्हाइट हाउस के कोरोना वायरस टास्क फोर्स के डॉ. एंथनी फाउची का. सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. फ़ाउची ने कहा, ''कोरोना वायरस फैलने से पहले अमरीका जिस स्थिति में था वहां शायद कभी नहीं पहुंच पाएगा अगर इस महामारी का कोई असरदार इलाज या वैक्सीन नहीं मिलते.'' जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी...

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बीमा कंपनियों को कोरोना वायरस से मरने वालों के परिवार को क्लेम का पैसा देना होगा : बीमा परिषद

-सत्याग्रह, बीमा कंपनियों को कोरोना वायरस से मरने वालों के परिवार को क्लेम का पैसा देना होगा. आज दिल्ली में जीवन बीमा परिषद की ओर से यह जानकारी दी गयी है. परिषद की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि सभी जीवन बीमा कंपनियां कोरोना वायरस के चलते हुई मौतों के सिलसिले में क्लेम का निपटान करने के लिए बाध्य हैं. जीवन बीमा परिषद के मुताबिक कोरोना वायरस से मौत...

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‘क’ से कोरोना नहीं, ‘क’ से करुणा

-न्यूजलॉन्ड्री,  अपनी रोज की चिर-परिचित दुनिया अपनी ही आंखों से बदली हुई, बदलती हुई दिखाई दे रही है. कल तक जो निजी शक्ति के घमंड में मगरूर थे आज शक्तिहीन याचक से अधिक व अलग कुछ भी बचे नहीं हैं. बच रहे हैं तो सिर्फ आंकड़े… मरने के… और मरने से अब तक बचे रहने के. कोई हाथ जोड़ कर माफी मांग रहा है जबकि उसकी सूरत व सीरत से माफी का...

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