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भेंटवार्ता जोन पी मेंशे से- वकार अहमद सईद

नृत्त्वशास्त्र की अध्येता जॉन पी मेंशे से की गई यह भेटवार्ता फ्रंटलाइन से साभार ली गई है।   प्रोफेसर जोन पी मेंशे नृत्तत्वशास्त्र की अध्येता हैं। उन्होंने बरसों तक सिटी यूनिवर्सिटी ऑव न्यूयार्क के ग्रेजुएट सेंटर और इसी यूनिवर्सिटी के लेहमान कॉलेज में अपने विषय का अध्यापन किया है। प्रोफेसर मोंशे सेकेंड चांस फाऊंडेशन नामक एक नॉट फॉर प्राफिट संस्था की अध्यक्ष भी हैं। यह संस्था भारत और संयुक्त राज्य...

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नौ शहरों में पीपीपी मॉडल पर कचरा प्रबंधन की तैयारी

लखनऊ। प्रदेश के नौ शहरों को पॉलीथीन में कूड़ा भरकर उसे सड़क पर फेंकने से अब निजात मिल सकेगी। शीघ्र ही इन शहरों में निजी-सरकारी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल के आधार पर 'इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट' की कवायद शुरू होने जा रही है। इसके तहत एक निजी संस्था लोगों के घरों से कूड़ा इकट्ठा करके उसे वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित करेगी। इस प्रक्रिया के दौरान जैविक कचरे से कम्पोस्ट खाद और...

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भुखमरी-एक आकलन

 खास बात   - साल 1990 में भारत का जीएचआई अंक 32.6 था, साल 1995 में यह अंक 27.1, साल 2000 में 24.8, साल 2005 में  24.0 तथा साल 2013 में 21.3 था। साल 2013 में भारत का जीएचआई अंक(21.3) चीन (5.5), श्रीलंका (15.6), नेपाल (17.3), पाकिस्तान (19.3) और बांग्लादेश (19.4) से बदतर है।@ -साल १९८३ में देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी उपभोग २३०९ किलो कैलोरी का था जो साल १९९८ में घटकर २०१०...

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मानव विकास सूचकांक

   खास बात • 2018 में, 189 देशों और संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्रों में भारत मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में 129वें पायदान पर (एचडीआई वेल्यू 0.647) था, जबकि चीन 85वें (एचडीआई वेल्यू 0.758), श्रीलंका 71वें (एचडीआई वेल्यू 0.780), भूटान 134वें  (एचडीआई वेल्यू 0.617), बांग्लादेश 135 वें (एचडीआई वेल्यू 0.614) और पाकिस्तान 152 वें पायदान (एचडीआई वेल्यू 0.560) पर था. • 1990 और 2018 के बीच, औसत वार्षिक मानव सूचकांक के मूल्यांक में (तर्कयुक्त संकेतक, कार्यप्रणाली और समय-श्रृंखला डेटा के...

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सोशल ऑडिट

 खास बात • साल १९९३ के ७३ वें संविधान संशोधन के अनुसार सोशल ऑडिट करना अनिवार्य है। इसके माध्यम से ग्रामीण समुदाय को अधिकार दिया गया है कि वे अपने इलाके में सभी विकास कार्यों का सोशल ऑडिट करें। इस काम में अधिकारियों को ग्राम-समुदाय का सहयोग करना अनिवार्य माना गया है।* • साल १९९२-९३ के संविधान संशोधन द्वारा स्थानीय स्वशासन के अन्तर्गत व्यवस्था की गई कि ग्राम सभा और म्युनिस्पल निकायों...

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