ज़रा सोचिये कि उस स्थिति में क्या होगा, जब श्रम मन्त्री ही अपनी फ़ैक्ट्रियों में श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाकर मनमाने तरीके से मज़दूरों के श्रम का शोषण करते हों। जी हाँ, यह चौंकाने वाली बात है फरवरी 2011 तक दिल्ली के श्रम मन्त्री रहे मंगतराम सिंघल की, जिनका कि दाल, राजमा, छोले, चना, अरहर वगैरह तरह-तरह की दालों का बहुत बड़ा कारोबार है। पूर्व श्रम मन्त्री महोदय की फ़ैक्ट्रियों में अपनी ही...
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न पाठशाला, न स्वच्छ पानी, ये है मजदूरों की कहानी
राजेश छौंकर, नूंह : मई दिवस को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। अपनी मागों को लेकर आए दिन प्रदर्शन करते मजदूरों की स्थिति मेवात में अच्छी नहीं कही जा सकती। इनके लिए न स्वच्छ पानी की व्यवस्था है न ही इनके बच्चों के लिए पाठाशाला की। नहीं है शौचालय व पेयजल व्यवस्था मेवात में 90 फीसदी भट्ठों पर मजदूरों के लिए शौचालय आदि की व्यवस्था नहीं है। इससे महिलाओं को...
More »झांसा देकर बाहर बेची जा रही हैं झारखंडी बालाऐं
झारखंड ( रांची ) : झारखंड में इधर कुछ दिनों से छोटे-छोटे बच्चों को राज्य से बाहर ले जाकर बेच देने जैसी घटना बढ़ गयी है. बच्चों को काम का झांसा देकर दिल्ली, हरियाणा, मुंबई जैसे बडे शहरों में जोखिम भरे काम कराये जा रहे हैं. जहां इनकी हर तरह से शोषण हो रही है. 25 मार्च की घटना है, दिल्ली के डॉक्टर दंपती ने झारखंड की एक 13 साल की...
More »दलितों का दर्द- श्योराजसिंह बेचैन
उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न की घटनाएं चर्चा का विषय हैं। बहन मायावती के मुख्यमंत्री काल में इन घटनाओं का होना ज्यादा चिंताजनक है। राहुल गांधी का कहना है कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर दलित समस्या का समाधान हो जाएगा। सपा और भाजपा भी दलित समुदाय की बेहतरी के लिए अपनी-अपनी पार्टी का सत्ता में आना जरूरी बता रहे हैं। पर जनता क्या करे? इनमें से कौन-सी पार्टी...
More »कोई गुलाम योद्धा यह ना पूछे- क्यों युद्ध हारे( दैनिक जागरण, रांची संस्करण)
बीहड़ों में बागी होते हैं, डाकू तो पार्लियामेंट में होते हैं। फिल्म पान सिंह तोमर का यह डायलॉग सबकी जुबान पर है। आठ बार नेशनल चैंपियन रह चुके एथलीट पान सिंह तोमर सरकारी व्यवस्था में घिसकर अंतत: हथियार उठा लेता है और चंबल के बीहड़ों का कुख्यात डकैत बन जाता है। पलामू में 2001 में एक नक्सली श्याम बिहारी उर्फ विनय जी उर्फ सलीम ने आत्मसमर्पण किया था। उसे...
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