SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 439

वैश्वीकरण बनाम आदिवासी- हरिराम मीणा

जनसत्ता 29 जुलाई, 2013: भूमंडलीकरण का यह वह दौर चल रहा है जब सारे प्राकृतिक संसाधनों का फटाफट और अंधाधुंध दोहन कर लिया जाए, हो सकता है फिर ऐसा सुनहरा अवसर इन कंपनियों को मिले या न मिले। नई आर्थिक नीति की चरम परिणति जन-विरोधी वैश्वीकरण के रूप में अब सामने आ रही है। बहुराष्ट्रीय निगमों, उनको मॉडल मानने वाले देशी पूंजीपतियों और प्राकृतिक संसाधनों की बंदरबांट में लगे राजनीतिकों,...

More »

यह गरीबी और गैरबराबरी- कृष्ण प्रताप सिंह

संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर लीस ग्रैंड का कहना है कि भारत गरीबी उन्मूलन के संयुक्त राष्ट्र के सहस्नब्दी विकास लक्ष्य की दिशा में ‘उचित गति' से अग्रसर है और 2015 तक इसे प्राप्त कर लेगा. उनके कथन का आधार संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा तैयार करायी गयी वह रिपोर्ट है, जिसके अनुसार देश में व्यापक स्तर पर फैली गरीबी 1994 के 49 प्रतिशत से घट कर 2005 में 42 प्रतिशत...

More »

ये तो अधर्म की मूर्तियां हैं!- डा भरत झुनझुनवाला

उत्तराखंड में आयी विभीषिका में विद्युत परियोजनाओं की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं. केदारनाथ में मंदाकिनी नदी बहती है. फाटा व्यूंग और सिंगोली भटवाड़ी नाम से केदारनाथ के नीचे इस नदी पर दो विद्युत परियोजनाएं बन रही हैं. प्रत्येक में 15-20 किमी की सुरंगें पहाड़ में खोदी जा रही हैं. इन सुरंगों को बनाने में भारी मात्र में डायनामाइट का प्रयोग किया गया है. इनके धमाकों से पहाड़ दरक...

More »

दुग्ध उत्पादकों की रक्षा व पोषण के लिए कड़े कदम जरूरी: निर्मला

मेहसाणा - दुग्ध उत्पाद की रक्षा व पोषण करने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए। यह कहना है श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वी. कुरियल की बेटी निर्मला कुरियन का। रविवार को डॉ. वी. कुरियन की याद में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मेहसाणा स्थित डॉ. वी. कुरियन शैक्षणिक केंद्र का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि देश की कृषि सकल घरेलू उत्पाद में दूध का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके...

More »

हे भगवान प्लास्टिक- सुसान फ्रिंकेल

लगभग नब्बे बरस पहले हमारी दुनिया में प्लास्टिक नाम की कोई चीज नहीं थी. आज शहर में, गांव में, आस-पास, दूर-दूर जहां भी देखो प्लास्टिक ही प्लास्टिक अटा पड़ा है. गरीब, अमीर, अगड़ी-पिछड़ी पूरी दुनिया प्लास्टिकमय हो चुकी है. सचमुच यह तो अब कण-कण में व्याप्त है--शायद भगवान से भी ज्यादा! मुझे पहली बार जब यह बात समझ में आई तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं एक प्रयोग करके देखूं-...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close