SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 498

ग्रामीणों ने खुद के खर्चे पर लिया सरकारी स्कूल को ई-स्कूल बनाने का संकल्प

राजकोट। सौराष्ट्र के भरतनगर गांव के सरकारी स्कूल के दिन फिरने वाले हैं। जनवरी -2015 में ये स्कूल ई-स्कूल बन जाएगा। बच्चे कॉपी-किताब की बजाय टैबलेट से पढ़ाई करेंगे। यह सब किसी सरकारी योजना के तहत नहीं बल्कि ग्रामीणों के संकल्प के चलते संभव होने वाला है। ये संकल्प कृष्ण जन्माष्टमी पर लिया गया। सब ग्रामीणों की योजना के अनुसार रहा तो अगले गणतंत्र दिवस पर गांव का सरकारी स्कूल...

More »

वे जो आत्महत्या करते हैं..!

गैर-शादीशुदा लोगों में आत्महत्या की प्रवृति विवाहितों की तुलना में ज्यादा होती है - प्रसिद्ध किताब ‘स्यूसाइड’ में एमिल दुर्खाईम का एक निष्कर्ष यह भी था। आत्महत्या का आधार सामाजिक स्थितियों में देखने वाले दुर्खाइम के इस कथन से उनके हमवतन अल्बेयर कामू शायद ही सहमत हों। कामू आत्महत्या को एक “अबूझ दार्शनिक पहेली ” मानते थे। लेकिन बात नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के एक्सीडेंटल डेथ्स एंड स्यूसाइड इन इंडिया नामक...

More »

गुजरात में शिक्षा का भगवाकरण,शाखाओं में बंटनेवाली किताबें स्कूलों में- अंकुर जैन

गुजरात सरकार उन किताबों को राज्य के सभी प्राइमरी और हाइस्कूलों में पढ़ाने जा रही है, जिन्हें पिछले दो दशकों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं में बांटा जाता रहा है. अब तक ये किताबें ‘विद्या भारती-अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान' के स्कूलों में भी पढ़ाई जा रही थीं, लेकिन अब ये सरकारी स्कूलों में भी बांटी जायेंगी. इन पुस्तकों के लेखक आरएसएस के कार्यकर्ता दीनानाथ बत्र हैं. ये वही...

More »

गुजरात: 'संघ' की शिक्षा सरकारी स्कूलों में

गुजरात सरकार उन किताबों को राज्य के सभी प्राइमरी और हाई स्कूलों में पढ़ाने जा रही है जिन्हें पिछले दो दशकों से संघ की शाखाओं में बाँटा जाता रहा है. अब तक ये किताबें 'विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान' के स्कूलों में भी पढ़ाई जा रही थीं लेकिन अब ये सरकारी स्कूलों में भी बांटी जाएंगी. इन पुस्तकों के लेखक आरएसएस के कार्यकर्ता दीनानाथ बत्रा हैं. ये वही दीनानाथ बत्रा हैं...

More »

किताबों की जगह हाथ में झाड़ू, बेटियों को करनी पड़ती है सफाई

सीकर. शिक्षा विभाग की डाइस डाटा रिपोर्ट में सरकारी शिक्षा के चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में पहली कक्षा में दाखिला लेने वाले 100 स्टूडेंट्स में से केवल 27 ही 12वीं की पढ़ाई पूरी कर पा रहे हैं। बाकी 73 स्टूडेंट्स बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसके पीछे बड़ी वजह है सीनियर सैकंडरी स्कूलों और शिक्षकों की कमी। राजस्थान में पहली से पांचवीं कक्षा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close