-डाउन टू अर्थ, दिल्ली-एनसीआर से थके-मांदे उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में पहुंचे थे सोचा था कि अब उनके गांवों का रास्ता आधा ही बचा है। उन्हें क्या पता था कि बरेली में उन्हें सोडियम हाइपोक्लोराइट रसायन से नहला दिया जाएगा। बच्चे दर्द से चीखने लगेंगे। बरेली प्रशासन के इस कृत्य ने अमानवीयता की हदें लांघ ली। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस घटना को लोगों ने अपनी टिप्पणियों में क्रूर...
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तीसरी दुनिया: वायरस पर नियंत्रण के बहाने दुनिया को एबसर्ड थिएटर में बदलती सरकारें
-मीडियाविजिल, लंदन से प्रकाशित दैनिक ‘इंडिपेंडेंट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जाहिर की है कि कई देशों की सरकारें कोरोना वायरस पर नियंत्रण के बहाने अपने उन कार्यक्रमों को पूरा करने में लग गयी हैं जिन्हें पूरा करने में जन प्रतिरोध या जनमत के दबाव की वजह से वे तमाम तरह की बाधाएं महसूस कर रहीं थीं। रिपोर्ट के अनुसार 16 मार्च को संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध विशेषज्ञों...
More »कोरोना वायरस का सबसे पहला टीका शायद जर्मनी में बने लेकिन पूरी दुनिया फिलहाल लगी इसी जुगत में है
-सत्याग्रह, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और कुछ जानते हों या न जानते हों, शेखी बघारना खूब जानते हैं. कोरोना वायरस के कहर के बारे में 11 मार्च को उन्होंने बड़े ताव में कहा था कि उससे निपटने की ‘’जितनी अच्छी तैयारी अमेरिका ने कर रखी है, उतनी किसी और देश ने नहीं की है.’’ इससे पहले तक वे कह रहे थे कि यह चीन और यूरोप वालों का सरदर्द है. लेकिन...
More »कोरोना वायरस के बारे में कितना जानते हैं आप और क्या जानना है जरूरी!
-गांव कनेक्शन, नोवेल कोरोना वायरस के बारे में कई तरह की बातें सोशल मीडिया, वाट्सऐप और इंटरनेट के माध्यम से फैल रही हैं। इनमें से कुछ सही हैं, तो बहुत-सी बातें बिल्कुल निराधार हैं। ऐसे समय में जब कोरोना वायरस महामारी बनकर दुनियाभर में हजारों लोगों की जान ले चुका है, तो इससे जुड़े कुछ अनिवार्य पहलुओं के बारे में जानना जरूरी है। संक्रमण: वायरस गले और फेफड़ों में उपकला (epithelial) कोशिकाओं को...
More »कोरोना: महामारी के दौर में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी ज़रूरी है
- द वायर, किसी वैश्विक महामारी का मनोवैज्ञानिक परिणाम सामाजिक ताने-बाने पर भी असर डालता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के पहले महानिदेशक ब्रॉक चिशहोम, जो कि एक मनोरोग चिकित्सक भी थे, की प्रसिद्ध उक्ति है : ‘बगैर मानसिक स्वास्थ्य के, सच्चा शारीरिक स्वास्थ्य नहीं हो सकता है.’ उनके ये शब्द इस विचार का समर्थन करते हैं. सालों के रिसर्च के बाद इस बात को लेकर कोई शक नहीं रह गया है कि...
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