वहां से निकलना आसान नहीं है और वहां रहना तो और भी मुश्किल. सरकारी कुनीतियों के चलते अलीराजपुर में कुछ टापुऑं पर दिन बिता रहे सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों की जिंदगी में उम्मीद को छोड़कर सब कुछ है. गरीबी, भूख, कुपोषण, बेरोजगारी और इन सबसे उपजी उनकी लाचारी की क्या कोई सुध लेगा? बृजेश सिंह की रिपोर्ट यह कहानी मध्य प्रदेश के कुछ ऐसे गांवों की है जिनके रहवासी युद्ध...
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अन्न स्वराज- वंदना शिवा
भोजन का अधिकार जीने के अधिकार से जुड़ा हुआ है और संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को जीने का अधिकार प्रदान करता है। इस लिहाज से प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक स्वागतयोग्य है। पिछले दो दशकों में भारत में भूख एक बड़ी समस्या के रूप में उभरी है। 1991 में जब आर्थिक सुधार कार्यक्रम शुरू किए गए थे, तब प्रति व्यक्ति भोजन की खपत 178 किलोग्राम थी, जो 2003 में...
More »प्राण वायु बन गई जानलेवा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि विश्वभर में प्रतिवर्ष वायु प्रदूषण से 20 लाख लोगों की मौत होती है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक विश्व के 91 देशों के लगभग 1,100 शहरों में प्रदूषण काफी उच्च स्तर पर पहुंच गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण की वजह से ही...
More »भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने वालों को 50 हजार
राज्य सरकार भ्रष्टाचार के मामलों उजागर कर इसमे लोकसेवकों को बेनकाब करने वाले आम लोगों को 50 हजार तक की पुरस्कार राशि प्रदान करेगी। लोकसेवकों के दायरे में विधायक, सांसद व अधिकारी सभी आते हैं। पुरस्कार प्रदान करने के लिए गुप्त सेवा कोष व पुरस्कार कोष का निगरानी विभाग में गठन हो चुका है। मंगलवार को जनता दरबार के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि...
More »सुनो, मध्य वर्ग की आहट -शशि भूषण
अन्ना हजारे, सिविल सोसाइटी, सरकार और सर्वोपरि संसद समाजशास्त्री व अर्थशास्त्री जो लोग इन बड़े समाचारों के बीच उनके भीतरी आशय जानना चाहते हैं, उनके के लिए ये सब बहस के मुद्दे हो सकते हैं, किंतु आम लोग, लोकपाल या जन लोकपाल में कुछ फर्क भी है, यह जानने की जरूरत नहीं समझते. उन्हें बस इतना पता चल गया है कि एक पर एक मंत्री एक से आला भ्रष्टाचार के नये कीर्तिमान...
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