महात्मा गांधी के विचारों और सोच के निर्माण में देश-विदेश के अनेक विचारकों, कवियों, लेखकों के साथ-साथ उनके अपने जीवनानुभवों का भी बहुत बड़ा हाथ रहा। इन जीवनानुभवों में अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहा भारत में गांवों तथा किसानों के संबंध में उनके अनुभव। यह दीगर बात है कि उनके विचारों तथा कार्यों के मूल्यांकन के संदर्भ में इस पक्ष पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है। सर्वविदित है कि दक्षिण अफ्रीका...
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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे : यूपी में सामान्य से कम वजन की व्यस्क आबादी सबसे ज्यादा !
अगर आप यूपी सरकार के सलाहकार होते तो इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्देश के बारे में क्या कहते जिसमें याद दिलाया गया है कि जीवन, जीविका और भोजन की पसंद पर पाबंदी नहीं लगायी जा सकती? शायद आप यूपी की योगी-सरकार को कहते कि कोर्ट के निर्देश को गंभीरता से लीजिए क्योंकि यूपी देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है और इसी यूपी में भोजन और पोषण की कमी के मारे लोगों...
More »तीन सरकार, तीनों बेकार!-- योगेन्द्र यादव
हमारे देश में महानगरों की हालत इतनी बुरी क्यों है, यह समझना है तो दिल्ली आइए. लोकतांत्रिक चुनाव इसे बदलने में क्यों असफल रहते हैं, यह जानने के लिए दिल्ली नगर निगम के चुनाव को देखते रहिए. हमारे शहरों-महानगरों में सरकार एक भूल-भुलैया है. सरकारी बाबू के सिवा किसी को नहीं पता कि किसका क्या अधिकार क्षेत्र है. दिल्ली शहर में तीन सरकारों का राज चलता है- उपराज्यपाल...
More »पनामा मामले के विभिन्न पेच- मोहन गुरुस्वामी
पनामा मध्य अमेरिका में स्थित एक टापू देश है, जो उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका को जोड़ता है. भौगोलिक रूप से उत्तर में इसका पड़ोसी कोस्टारिका है और दक्षिण में कोलंबिया स्थित है. यह एक छोटी जमीनी पट्टी है, जो प्रशांत और अटलांटिक महासागरों को अलग करता है. मानव-निर्मित 77 किलोमीटर लंबी नहर दोनों महासागरों को परस्पर जोड़ती है और इसमें बड़े जहाजों का आवागमन हो सकता है. वर्ष 1914 में शुरुआत...
More »भरे पेट की दुनिया में भूखे बच्चे --- डा. सैय्यद मोबिन जेहरा
भूख इंसान को कितना मजबूर करती है, यह तो वही जानते हैं जो एक वक्त की रोटी के लिए मारे-मारे फिरते हैं. पेट की यह आग इंसान से क्या कुछ नहीं करवाती है. हम सब दिन रात मेहनत करते हैं और जिंदगी की गाड़ी को खींचते हुए आगे बढ़ते हैं. हमारे समाज में कुछ लोग अपनी मरजी के अनुसार जो कुछ खाना चाहते हैं, वे न सिर्फ खाते हैं, बल्कि...
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