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सार्वजनिक बैंकों को केंद्र से 230 अरब की वित्तीय मदद

नई दिल्ली। बढ़ते एनपीए के बोझ और घटते मुनाफे से परेशान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में केंद्र सरकार ने वायदे के मुताबिक तकरीबन 23 हजार करोड़ रुपये की पूंजी बढ़ा दी है। वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि 13 बैंको को 22,915 करोड़ रुपये की राशि बतौर पुनर्पूंजीकरण दी गई है। इस राशि से बैंकों के लिए विभिन्न वैधानिक मानकों को बनाये रखने में मदद मिलेगी। सबसे ज्यादा...

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नीतीश ने PM मोदी से कहा, विशेष राज्य का दर्जा दें, खत्म करें राज्यपाल का पद

नयी दिल्ली : शनिवार को 10 साल के अंतराल में आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सामाजिक और आर्थिक हालात को देखते हुए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. उन्होंने पूरे देश में शराबबंदी लागू करने की भी मांग की. साथ ही नीतीश ने राज्यपाल का पद समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि वर्तमान संघीय गणतांत्रिक परिवेश में इस...

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औद्योगिक वृद्धि नरम, जून में 22 महीने के उच्च स्तर पर पहुंची खुदरा मुद्रास्फीति

औद्योगिक उत्पादन में मई में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार का हल्का संकेत देता है। हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 5.77 प्रतिशत हो गयी जो कि 22 महीने का उच्च स्तर है। मुद्रास्फीति बढ़ने के बाद रिजर्व बैंक की तरफ से नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश कम हुई है। टिकाऊ उपभोक्ता सामान तथा विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि से औद्योगिक उत्पादन मई में 1.2 प्रतिशत बढ़ा...

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आर्थिक सुधार- नई मंजिलें- पी चिदंबरम

पिछले हफ्ते भारत में आर्थिक सुधार और भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के पच्चीस साल पूरे हुए। सरकार ने इस अवसर की अनदेखी की, और इसकी वजह समझना मुश्किल नहीं है: आर्थिक सुधार पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने शुरू किए थे, और तब भाजपा ने इसका पुरजोर विरोध किया था। (स्वदेशी जागरण मंच का वजूद आज भी है।) कल्पना करें कि 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी...

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सब्सिडी : कल्याण या राजनीति? मुफ्तखोरी के दुष्चक्र में फंसता देश

ज्यादातर देशों में एक ओर जहां राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए मुफ्तखोरी को हथियार बनाती हैं, वहीं इसी दुनिया में स्विटजरलैंड जैसा भी एक देश है, जहां की जनता ने सरकार की इस पेशकश को ठुकरा दिया. दूसरी तरफ भारत में देखें तो राजनीतिक पार्टियां और सरकारें मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्तखोरी को बढ़ावा देनेवाली नीतियों को प्रश्रय देती रहती हैं भारत जैसे कल्याणकारी राज्य में सब्सिडी एक जरूरी...

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