असमय बारिश तथा तूफान से संपूर्ण उत्तर भारत में खेती का भारी नुकसान हुआ है और लगभग एक हजार किसान आत्महत्या करने को मजबूर हुए हैं. इन आत्महत्याओं का ठीकरा सिर्फ मौसम पर फोड़ना उचित नहीं होगा, क्योंकि ऐसी घटनाएं होती ही रहती हैं. असल समस्या है कि किसान की सहनशक्ति का हृस हो गया है. किसान का बैंक बैलेंस समाप्त हो गया है. एक फसल खराब हुई, तो वह...
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कहीं सूखे ही न रह जायें खेत- जयंतीलाल भंडारी
विगत 26 अप्रैल को ऑस्ट्रेलियाई मौसम ब्यूरो (एडबल्यूबी) ने कहा कि प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गरम होने की वजह से अल नीनो के भारत आने की आशंका सामान्य से तीन गुना ज्यादा है। इससे देश के दक्षिण-पश्चिम मानसून पर प्रतिकूल प्रभाव होगा। इसी तरह की चिंताजनक बात भारतीय मौसम विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट में कही है। कहा गया है कि इस वर्ष अल नीनो की वजह से...
More »खेती पर होगा जोर तो बढ़ेगा वेयरहाउसिंग का कारोबार
आशीष और उनके बड़े भाई जोधपुर से करीब 20 किलोमीटर दूर पाली रोड के किनारे पड़ी अपनी पुश्तैनी जमीन का इस्तेमाल कर कोई कारोबार करना चाहते थे। उन्होंने महसूस किया कि जोधपुर और उसके आसपास में बढ़ती खेती के कारण कृषि उत्पादों के रखरखाव की जरूरत हाल के वर्षों में लगातार बढ़ती जा रही है और इसलिए पिछले साल दोनों भाइयों ने मिलकर वेयरहाउसिंग कारोबार में उतरने का फैसला किया।...
More »किसान के अस्तित्व की लड़ाई- योगेन्द्र यादव
टेलीविजन चैनलों ने किसान को याद किया, ताकि पूरा देश किसान को भूल सके! यही किसान और खेती की त्रासदी है. क्या किसान आंदोलन इस त्रासदी को पलट सकेंगे? असली त्रासदी यह नहीं कि गजेंद्र नाम का एक और किसान अब इस दुनिया में नहीं रहा, उसके मां-बाप ने अपने बुढ़ापे का सहारा खो दिया और बच्चों ने अपना पिता. असली त्रासदी है कि किसानों की आत्महत्या का यही सिलसिला...
More »क्यों खुदकुशी कर रहे हैं किसान- विनय सुल्तान
सारी पार्टियां गजेंद्र सिंह की खुदकुशी पर गमगीन दिखने की होड़ में शामिल हैं। अगर उनके आंसू सच्चे हैं तो वे बाकी किसानों की सुध क्यों नहीं ले रही हैं? महाराष्ट्र में सिर्फ चार महीनों में सैकड़ों किसानों ने अपनी जान ले ली। गजेंद्र सिंह राजस्थान का था। मगर राज्य के किसानों पर छाए संकट का वह अकेला उदाहरण नहीं था। कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ में हाल में तीस से...
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