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असल मुद्दों से डगमगाते रहे पूरे साल - मृणाल पांडे

साल 2015 विदा हो रहा है। इस साल भी हमारे नेता, अभिनेता, प्रतिपक्ष और समाज के पुरोधा असली मुद्दों पर कम, प्रतीकों के गिर्द ही अपनी नीतियां और रणनीतियां गढ़ते, झगड़ते रहे। ध्यान का केंद्र चाहे असेंबली चुनाव हों, या महिला सुरक्षा, बिगड़ते पर्यावरण से जुडे बाढ़-सुखाड़ हों अथवा सार्वजनिक परिवहन या विदेश नीति, जिस तरह उन पर संसद के भीतर-बाहर और टीवी पर्दों पर टकराव हुए, तलवारें चलीं, लगा...

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सिर्फ व्यक्ति की आय बढ़ने से नहीं होता विकास : ज्यां द्रेज

नयी सरकार की आर्थिक घोषणा को ‘बिग बैंग' बताने के लिए इस्तेमाल किया गया. बाद में नयी सरकार की आर्थिक सफलता के दावे को सही ठहराने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि असलियत यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास के मामले में लंबे समय से बहुत अच्छा कर रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था मामूली उतार-चढ़ाव के साथ करीब 7.5 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से बीते 12 साल से...

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सिर्फ व्यक्ति की आय बढ़ने से नहीं होता विकास : ज्यां द्रेज

नयी सरकार की आर्थिक घोषणा को ‘बिग बैंग' बताने के लिए इस्तेमाल किया गया. बाद में नयी सरकार की आर्थिक सफलता के दावे को सही ठहराने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि असलियत यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास के मामले में लंबे समय से बहुत अच्छा कर रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था मामूली उतार-चढ़ाव के साथ करीब 7.5 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से बीते 12 साल से...

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बुंदेलखंड में सूखा नहीं अकाल : नसीमुद्दीन

बांदा। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष व बसपा राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि बुंदेलखंड में सूखा नहीं अकाल पड़ा है। यहां का किसान घास की रोटी खाने को मजबूर है और केंद्र व प्रदेश सरकार हाथ पर हाथ पर रखे बैठी है। सरकार की इस उदासीनता की बसपा निंदा करती है। अगले माह सत्र शुरू होने पर सदन में किसानों के मुद्दे उठाए जाएंगे। अलीगंज स्थित अपने आवास में सोमवार...

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पानी के लिए मचेगा हाहाकार

जलवायु परिवर्तन का भारत में भी दिखने लगा प्रभाव पर्यावरण संरक्षण पर आयोजित सेमिनारों में लंबे-चौड़े भाषण देकर लोग अपने काम की इतिश्री कर लेते हैं. लेकिन, व्यावहारिक जीवन में अपनी ही कही बात पर अमल नहीं करते. इसी का नतीजा है कि प्राकृतिक संपदा और तीन प्रकार के मौसम चक्र से परिपूर्ण भारत भी जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से जूझ रहा है. वनों की अंधाधुंध कटाई, नदियों का विनाश, औद्योगिक...

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