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कुछ राज्य अंडा देने से क्यों मुकर रहे हैं? -- ज्यां द्रेज़

पिछले कुछ सालों से भारत के कई राज्यों ने स्कूलों या आंगनबाड़ी केंद्रों या फिर दोनों जगहों पर मिड डे मील में अंडा परोसना शुरू किया है. यह क़दम सामाजिक नीति के क्षेत्र में हुए बेहतरीन चीज़ों में एक है. भारतीय बच्चे दुनिया के सर्वाधिक कुपोषित बच्चों में शुमार हैं. उन्हें प्रोटीन, विटामिन, आयरन तथा अन्य ज़रूरी पोषक-तत्वों से भरपूर भोजन नहीं मिल पाता. रोज़ाना अंडा खाने से उन्हें पलने-बढ़ने और सोचने-समझने...

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आजादी के बाद पहली बार चुआपानी के जोसेफ ने किया मैट्रिक पास

आजादी के बाद किसी गांव में पहली बार कोई मैट्रिक पास किया है. यह खबर राज्य में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली या जागरूकता का अभाव को दर्शाता है. यह राज्य सरकार के लिए सोचनीय भी है. लेकिन, इस परिणाम ने ग्रामीणों में शिक्षा के प्रति एक नया संचार फैलाया है. ऐसी उम्मीद है. रानीश्वर : रानीश्वर पंचायत अंतर्गत वृंदावनी पंचायत के चुआपानी गांव का जोसेफ टुडू आजादी के बाद पहला ऐसा...

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पहचान छिपाने की मजबूरी देता समाज

छुआछूत को कानूनी तौर पर खत्म किए जाने के 65 साल बाद भी देश का चौथा नागरिक किसी-न-किसी रूप में इसके अनुभवों से गुजर चुका है। एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। यह सर्वे राष्ट्रीय व्यावहारिक आर्थिक अनुसंधान परिषद और मैरीलैंड यूनिवर्सिटी, अमेरिका ने किया है। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि छुआछूत विरोधी तमाम कड़े कानून बनने के बाद हम उससे मुक्त नहीं हो पाए...

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मोदी सरकार के 1 साल( विशेष आलेख, आलेख प्रभात खबर)

पिछले आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का एक प्रमुख नारा था- ‘सबका साथ-सबका विकास'. अपने इस वादे पर अमल करते हुए सरकार ने पिछले एक साल में आम आदमी की समृद्धि और उन्हें आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से कई नयी योजनाएं शुरू कीं. कुछ पिछली योजनाओं में भी तब्दीली करते हुए उन्हें नये नाम और प्रारूप में शुरू किया गया.  जन-धन, बीमा और पेंशन आदि से जुड़ी...

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कृषि क्षेत्र की लगातार उपेक्षा- पवन के वर्मा

सरकार की आर्थिक दृष्टि औद्योगिक गलियारों, राजमार्गों, बुलेट ट्रेनों और स्मार्ट शहरों तक ही सीमित है. भारत को इनकी जरूरत है, लेकिन सरकार एकतरफा ढंग से उस भारत को छोड़ इन लक्ष्यों के पीछे नहीं भाग सकती है जहां आत्महत्याओं की संख्या और लोगों की तकलीफें बेतहाशा बढ़ रही हैं. भाजपा को याद करना चाहिए कि सर्वाधिक 18,241 आत्महत्याएं 2004 में हुई थीं, जब पार्टी ‘शाइनिंग इंडिया' की बात करती...

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