जब मैं 16 वर्ष की थी, तब मेरी ही उम्र का एक लड़का पटना से मेरे गृहनगर बड़ोदा (गुजरात) आया। शहर को देखकर वह चकाचौंध था। बिजली की निर्बाध आपूर्ति, सड़क की बेहतरीन दशा, रात में भी बिना किसी डर के अकेली दोपहिया वाहन चलाती महिलाएं। गरबा के दौरान, रात भर, आकर्षक बैकलेस चोली में महिलाएं घूम रही थीं। उसे अपनी आंखों पर सहसा विश्वास नहीं हो रहा था। मैंने...
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जाति और गुस्से की चुनावी बिसात- नीरजा चौधरी
भारतीय राजनीति में हरियाणा का महत्व दूसरे राज्यों के मुकाबले काफी अलग है। एक तो यह कृषि प्रधान क्षेत्र है, दूसरा यह देश की राजधानी से सटा राज्य है। हरियाणा के 13 जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आते हैं। इस राज्य ने भारतीय राजनीति को कई बड़े चेहरे दिए और इस बार के आम चुनाव में भी कई बड़े चेहरे यहीं से किस्मत आजमा रहे हैं। इस बार जो सूरत...
More »पूंजीवाद का प्रपंच- सिद्धार्थ वरदराजन
नरेंद्र मोदी आखिर किसका प्रतिनिधित्व करते हैं, और भारतीय राजनीति में उनके उदय के क्या मायने हैं? 2002 के मुस्लिम विरोधी दंगों का बोझ अब भी उनके कंधों पर है। ऐसे में, सांप्रदायिक राजनीति के ऐतिहासिक उभार के तौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री का राष्ट्रीय पटल पर उदय होते देखना खासा दिलचस्प रहेगा। संघ परिवार के वफादार और हिंदू मध्य वर्ग का एक बड़ा हिस्सा आज अगर उनका भक्त बना है,...
More »भय पैदा करने वाला समाज- सुभाषिनी अली
नवंबर और दिसंबर के महीनों में शामली, मेरठ और मुजफ्फरनगर में महिलाओं की बड़ी सभाएं आयोजित की गईं। यह काफी आश्चर्यजनक बात है, क्योंकि, खासतौर से ऐसे इलाकों में, महिलाएं सभाओं में बड़ी मुश्किल से जा पाती हैं। उनके घरवाले इन सभाओं से घबराते हैं कि कहीं इनमें आने-जाने की आदत पड़ गई और औरतों को अपनी समान समस्याओं पर अधिक और आपस के भेद पर कम ध्यान जाने लगा,...
More »संकीर्णताओं की विषवेल- रमणिका गुप्ता
जनसत्ता 12 फरवरी, 2014 : हाल में वीरभूम की एक आदिवासी पंचायत ने दूसरे धर्मावलंबी युवक से प्रेम करने के अपराधस्वरूप एक बीस वर्षीय युवती को सामूहिक बलात्कार का दंड दिया। पूरा देश दहल उठा। पंच परमेश्वर के आदेश पर लड़की के आस-पड़ोस के युवा से लेकर पिता की उम्र तक के तेरह लोगों ने उसके साथ सार्वजनिक स्थल पर निर्ममतापूर्वक बलात्कार किया। युवती के परिजन बेबसी के साथ यह...
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