लाखों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आज भी उन अपमानजनक सामाजिक बेड़ियों में बंधे हुए हैं, जो उनके जन्म से ही उन पर लाद दी गई थीं। आधुनिकता की लहर के बावजूद आज भी भारत के दूरदराज के देहातों में जाति व्यवस्था जीवित है। यह वह व्यवस्था है, जो किसी व्यक्ति के जाति विशेष में जन्म लेने के आधार पर ही उसके कार्य की प्रकृति या उसके रोजगार का निर्धारण कर...
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मेहनतकश की मजदूरी का सवाल : हर्ष मंदर
‘खेतों और फैक्टरियों में काम करने वाले हर मजदूर और कामगार को कम से कम इतना अधिकार तो है ही कि वह इतनी मजदूरी पाए कि अपना जीवन सुख-सुविधा से बिता सके..।’ वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण दे रहे जवाहरलाल नेहरू ने यह बात कही थी। इसके नौ दशक बाद स्वतंत्र भारत की केंद्र सरकार ने कहा कि लोककार्य के लिए कानून द्वारा स्थापित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान...
More »फेंके जूठन से आग बुझती पेट की
आसनसोल : विकासशील देशों के लिस्ट में लगातार आगे बढ़ रहे भारत में अब भी लाखों बच्चे ऐसे हैं जो हर दिन लोगों द्वारा फ़ेके हुए कचरे से अपना पेट भरते हैं. शनिवार को आसनसोल रेलवे स्टेशन के सात नंबर प्लेटफॉर्म पर कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला. चार गरीब बच्चे कचरे के पास पहुंचे और एक पॉलिथिन को उठा-उठा कर देखने और खोलने लगे. एक पॉलिथिन में कुछ बचा हुआ...
More »किसानों को किराए पर ट्रैक्टर देगी सरकार
भोपाल. किसानों के खेतों की जुताई अब सरकारी ट्रैक्टर करेंगे। इसके लिए किसान को काफी कम किराया चुकाना होगा। योजना को इसी खरीफ सीजन से प्रदेश में लागू किया जा रहा है। ई-टेंडर के जरिए अब तक 800 ट्रैक्टरों की खरीदी की जा चुकी है। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत संचालित इस योजना के तहत प्रदेश के 1450 स्थानों पर कस्टमर हायरिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इस सीजन...
More »पूरी हुईं मांगें, पाटकर की भूख हड़ताल समाप्त
मुम्बई। राज्य सरकार द्वारा मांगें मान लिए जाने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने अपनी नौ दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त कर दी है। पाटकर मुम्बई के उपनगरीय इलाके खार की झुग्गी-बस्तियों में रहने वालों को वहां से हटाए जाने के खिलाफ भूख हड़ताल कर रही थीं। 'नेशनल एलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट' (एनएपीएम) के सदस्य मधुरेश कुमार ने शनिवार को बताया, "जिलाधिकारी निर्मल देशमुख एक अधिसूचना लेकर आए थे, जिसमें राज्य सरकार द्वारा...
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