जनसत्ता 5 मार्च, 2013: इक्कीस-बाईस फरवरी का भारत-बंद लगभग सफल हुआ। उसके लिए श्रमिक संगठनों को बधाई। लेकिन इस महाबंद ने मन में कई सवाल उठा दिए। बंद होते रहते हैं। दो मुख्य तर्क इनके पीछे हैं। एक, मजदूरों या कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा, और दूसरा, अपने अधिकारों की शांतिपूर्ण और सामूहिक अभिव्यक्ति। दोनों बातें अपनी जगह सही हैं। मजदूर के अधिकार का संरक्षण होना जरूरी है। लेकिन असंगठित मजदूर...
More »SEARCH RESULT
नकद पैसे का खेल- बनवारी
जनसत्ता 14 फरवरी, 2013: मनमोहन सिंह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि गरीबी एक आर्थिक और राजनीतिक समस्या के बजाय अब केवल वित्तीय समस्या रह गई है। केंद्र सरकार की प्राथमिक चिंता अब न बेरोजगारी है, न महंगाई। देश की इन दो सबसे बड़ी समस्याओं से मुंह चुराने का उसने एक आसान उपाय निकाल लिया है। देश के गरीब लोगों के हाथ में दमड़ी रख दो; इससे सरकार के कल्याणकारी...
More »आधार कार्ड यानी धोखे का आधार - सचिन कुमार जैन
आधार यानी विशेष पहचान के आधार को समझिए। लोगों को पहचान देने के नाम शुरू हुआ प्रयास महज 3 साल में ही लोगों के लिए विकास से बहिष्कार और योजनाओं से बेदखली का कारण बनने लगा। इसका मकसद सरकार के गरीबों पर किए जाने वाले खर्च को कम करना बन गया है और दूसरा मकसद है समुदाय को नकद धन देना ताकि वे बाज़ार को फायदे रोशन करें। जनवरी 2009...
More »देवकी जैन: आम औरत की खास अर्थशास्त्री
केवल संयोगवश एक अर्थशास्त्री और नारीवादी बनी देवकी जैन विकासशील विश्व की प्रमुख ‘नारीवादी अर्थशास्त्री’(फेमिनिस्ट इकोनॉमिस्ट) हैं. उच्च अध्ययन के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के रस्किन कॉलेज गयीं, भारत लौट कर देवकी जैन ने भारतीय सहकारी आंदोलन के लिए काम करना शुरू किया. वह विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में शामिल हो गयीं और पदयात्र की. 1966 में प्रसिद्ध गांधीवादी अर्थशास्त्री लक्ष्मी चंद जैन से विवाह किया. संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हेतु किताब के...
More »गेहूं एमएसपी की वृद्धि से संतुष्ट नहीं किसान
मात्र 65 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी वृद्धि लागत बढ़ोतरी के मुकाबले बहुत कम पंजाब और हरियाणा के किसानों ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में सरकार द्वारा की गई 65 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी को नामंजूर कर दिया है। किसानों ने गेहूं उत्पादन की बढ़ी लागत के मुकाबले एमएसपी में बढ़ोतरी अपर्याप्त बताई...
More »