अगर जानना चाहें कि कोई देश प्रगति के किस मुकाम तक पहुंचा है तो पैमाना बनाइए उस परिवेश को जिसमें वहां बच्चे बड़े हो रहे हैं। परिवेश कुपोषण, भुखमरी, अस्वास्थ्यकर अड़ोस-पड़ोस और जबरिया बाल-मजदूरी का हो तो देश को प्रगति के क्रम में बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।द स्टेट ऑव वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट के तथ्यों से पता चलता है कि विश्व के भावी नागरिकों के हक में बड़ा कम निवेश किया जा रहा है।...
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सरकार कराएगी 14 वर्ष तक के बच्चों का मुफ्त इलाज
पटना. बिहार देश में ऐसा पहला राज्य होगा जहां शून्य से 14 वर्ष तक की उम्र के सभी बच्चों का इलाज सरकार अपने खर्च से करवाएगी। बच्चों का इलाज राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेन्द्रों से लेकर दिल्ली के एम्स अस्पताल सहित देश के बड़े संस्थानों तक कराया जाएगा। सरकार के मुताबिक राज्य में शून्य से लेकर 14 वर्ष की आयु वर्ग में करीब 3.4 करोड़ बच्चे हैं। एक अनुमान के मुताबिक...
More »0-14 वर्ष के सभी बच्चों को हेल्थ कार्ड
बिहार देश में ऐसा पहला राज्य होगा जहां शून्य से 14 वर्ष तक की उम्र के सभी बच्चों का इलाज सरकार अपने खर्च से करवाएगी। बच्चों का इलाज राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेन्द्रों से लेकर दिल्ली के एम्स अस्पताल सहित देश के बड़े संस्थानों तक कराया जाएगा। सरकार के मुताबिक राज्य में शून्य से लेकर 14 वर्ष की आयु वर्ग में करीब 3.4 करोड़ बच्चे हैं। एक अनुमान के मुताबिक इनमें से...
More »बस्तर के आदिवासियों को पाच रुपये किलो चना
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्य के आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य दुकानों से गरीबी रेखा श्रेणी के सभी परिवारों को हर महीने प्रति परिवार पाच रुपये में एक किलो देशी चना देने की घोषणा की है। सिंह ने शनिवार को राजधानी रायपुर के नवीन विश्राम भवन सभागृह में आयोजित बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में यह...
More »कुपोषण की चपेट में सहरिया जनजाति के नौनिहाल-एएचआरसी
परंत, राजवीर, रामकुमारी,सन्नी- ये नाम घनघोर कुपोषण में दम तोड़ने वाले बच्चों के हैं। 3 साल या फिर इससे भी कम उम्र के सभी बच्चे मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले गांवों में आबाद सहरिया जनजाति के हैं। आशिक, कुलदीप,पवन और मालती जैसे कुछ बच्चे और हैं, ये भी सहरिया जनजाति के ही हैं और कुपोषण की चपेट में इनका भी दम किसी क्षण टूट सकता है।(देखें लिंक संख्या-1) मानवाधिकारों के मोर्चे पर...
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