जनसत्ता 25 मई, 2012: यह रास्ता जंगल की तरफ जाता जरूर है, लेकिन जंगल का मतलब वहां सिर्फ जानवरों का निवास नहीं होता। जानवर तो आपके आधुनिक शहर में हैं, जहां ताकत का अहसास होता है। जो ताकतवर है उसके सामने समूची व्यवस्था नतमस्तक है। लेकिन जंगल में तो ऐसा नहीं है। यहां जीने का अहसास है। सामूहिक संघर्ष है। एक दूसरे के मुश्किल हालात को समझने का संयम है। फिर न्याय से लेकर...
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कड़िया की हवेली बाकी सबके झोपड़े
भले ही कड़िया मुंडा देश की सबसे बड़ी पंचायत (लोकसभा) के उपाध्यक्ष हो, लेकिन उनका गांव चांडीडीह काफी पिछड़ा है. खूंटी लोकसभा क्षेत्र की जनता ने पहली बार 1977 में कड़िया मुंडा को सांसद के रूप में चुना था और इसके बाद वे सात बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. वर्ष 2009 में सांसद चुने जाने के बाद इन्हें लोकसभा का उपाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद मिला. भाजपा के इस वरिष्ठ...
More »भ्रष्टाचार की गंगा का मुहाना बंद करना होगा- पी साईनाथ (अनुवाद मनीष शांडिल्य)
मनमोहनॉमिक्स के करीब 20 साल पूरे हो रहे हैं, अतः उस कोरस को याद करना बहुत वाजिब होगा, जिसका राग मुखर वर्ग पहले तो खूब गर्व से और फिर खुद को दिलासा देने के लिए अलापता रहा हैः 'आप चाहे जो भी कहें, हमारे पास डॉ मनमोहन सिंह के रूप में सबसे ईमानदार आदमी हैं. उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला जा सकता'. लेकिन ऐसा अब कम सुनने को...
More »तीन दिन में 600 ग्रामीणों ने बना डाली 20 किमी सड़क
गोइलकेरा (जमशेदपुर). नक्सलवाद प्रभावित झारखंड के 10 गांवों ने सरकार के आगे हाथ फैलाने बंद कर दिए हैं। इन गांवों के 600 लोगों ने प्रशासनिक मुख्यालय गोइलकेरा तक पहुंचने के लिए बदहाल 20 किलोमीटर सड़क अपने ही दम पर बना ली है। महज तीन दिनों में। नक्सलवादियों के आतंक और सरकारी मशीनरी की उपेक्षा के बीच यह आत्मनिर्भरता का अनूठा उदाहरण है। यह प्रयास गोइलकेरा के सबसे पिछड़े व सुदूरवर्ती पंचायत गमहरिया में...
More »विकास का पैसा कहां जाता है- विनीत नारायण
राज्य सरकारों ने 'वाटरशेड’ कार्यक्रम की जो रिपोर्ट भेजी है, उससे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश सहमत नहीं हैं। बंजर भूमि, मरूभूमि और सूखे क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए केंद्र सरकार हजारों करोड़ रुपये राज्य सरकारों को देती आई है। लेकिन जिले के अधिकारी और नेता मिलीभगत से सारा पैसा डकार जाते हैं। झूठे आंकड़े राज्य सरकारों के माध्यम से केंद्र सरकार को भेज दिए जाते हैं। आईआईटी के पढे़ श्री रमेश को कागजी...
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