SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1713

#जीवनसंवाद: आत्महत्या के विरुद्ध होना क्यों जरूरी!

-लोकवाणी, सुशांत सिंह के साथ खड़े होने से बचिए! हमें आत्महत्या के विरुद्ध होना है. उसके साथ नहीं.हमारी समस्या यह है कि हम जीवित व्यक्ति के साथ कभी समय पर खड़े नहीं होते, लेकिन मातम के वक्त समय पर पहुंच जाते हैं. -दयाशंकर मिश्रा सुशांत सिंह राजपूत इस दुनिया का हिस्सा नहीं हैं. बिहार के पूर्णिया से मुंबई तक उनका सफर सपने सरीखा रहा. उनकी मृत्यु पर सब चकित हैं. ऐसे याद कर...

More »

आखिर क्यों पलायन करते हैं बुंदेलखंड के लाखों लोग, मनेरगा में काम न मिलना भी बड़ी वजह?

-गांव कनेक्शन, "अगर हमें यहां काम मिलता रहता तो हम गांव छोड़कर क्यों जाते ? हमें इधर लॉकडाउन में सिर्फ 12 दिन का मनरेगा में काम मिला है, इसके 5 साल पहले मनरेगा में काम मिला था। जब काम नहीं मिला तो हमारे जैसे गांव के बहुत से लोग कमाने के लिए शहर चले गए।" उत्तर प्रदेश में ललितपुर जिले के बालाबेहट गांव की गुड्डी बताती हैं। गुड्डी के गांव के...

More »

क्यों पूरे देश में फ़सलों का एक न्यूनतम समर्थन मूल्य होने से किसानों का नुकसान है

-द वायर, केंद्र सरकार ने हाल ही में रबी सीजन 2020-21 के लिए धान, ज्वार, बाजरा, मक्का समेत विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय कर दिया है. सरकार का दावा है कि उसने लागत का डेढ़ गुना एमएसपी निर्धारित किया है, हालांकि हकीकत ये है कि मोदी सरकार ने कम लागत मूल्य के आधार पर एमएसपी तय की है. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों को सी2 लागत पर डेढ़...

More »

महंगी मजदूरी के साथ ही महंगे डीजल ने तोड़ी धान किसानों की कमर, सात दिन में डीजल 4 रुपये बढ़ा

-आउटलुक, केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 53 रुपये प्रति क्विंटल की मामूली बढ़ोतरी ही की है जबकि दोगुनी मजूदरी के साथ ही डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से धान रोपाई की लागत ही 18 से 20 फीसदी तक बढ़ गई है। पिछले सात दिनों से डीजल की कीमतों में करीब चार रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है...

More »

बिहार में पीडीएस का हाल, मांगा अनाज, मिली जेल

-बीबीसी,  बीती 7 जून को बिहार के अरवल के अनुमंडल कार्यालय में राशन कार्ड बनाने और उसका सत्यापन करवाने के लिए भीड़ उमड़ी थी. हज़ारों की इस भीड़ के लिए सरकारी 'सोशल डिस्टैंसिंग' की बात बेमानी थी. राशन कार्ड के लिए लाइन में सबा परवीन भी खड़ी थी. इस कोरोना कॉल में उनके लिए सरकारी खाद्यान्न सहायता अब जीने-मरने का सवाल बन चुकी है. जीने-मरने का ये सवाल सिर्फ़ अरवल जिले के लोगों के...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close