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स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता: राष्ट्रपति

नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कहना है कि भारत जैसे विकासशील देश में स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रभावी, सस्ती और सर्वत्र सुलभ स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए देश में अभी बहुत ज्यादा काम करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शनिवार को नेशनल इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ द कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के मिड-टर्म मीट 2015 के उद्घाटन सत्र को...

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प्रतिष्ठा का प्रश्न बना भूमि अधिग्रहण विधेयक - परंजॉय गुहा

मोदी सरकार का भू-अधिग्रहण अध्यादेश 5 अप्रैल को समाप्त हो रहा है और सरकार ने पुन: अध्यादेश लाने का निर्णय किया है। यह एक बहुत बड़ा राजनीतिक जुआ है। चूंकि राजग के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, इसलिए पूरी संभावना है कि जब यह अध्यादेश विधेयक की शक्ल में वहां जाएगा, तो निरस्त हो जाएगा। ऐसे में सरकार के पास संसद का संयुक्त सत्र बुलाने के सिवा कोई और...

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केंद्रीय कारा के 130 बंदियों ने मांगी इच्छा मृत्यु

रांची : बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 130 बंदियों ने इच्छा मृत्यु की मांग की है. बंदियों ने इसे लेकर जेल अधीक्षक अशोक चौधरी को आवेदन दिया है. वहीं इसकी प्रतिलिपि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री, राज्यपाल व जेल आइजी सहित कई अधिकारियों को भेजी है. आजीवन कारावास की सजा काट चुके...

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कैबिनेट की मंजूरी : फिर जारी होगा विवादित भूमि अध्यादेश

नयी दिल्ली : कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद सरकार ने विवादित भूमि अधिग्रहण अध्यादेश दोबारा लाने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लोकसभा में पारित हो चुके नौ संशोधनों के साथ भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को दोबारा लाने का फैसला किया गया है. कैबिनेट की मुहर लगने के बाद अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए...

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उनके हिस्से की जमीन- नीलांजन मुखोपाध्याय

इतिहास उलट कर देखें, तो जमीन झगड़ा-फसाद का एक बहुत बड़ा कारण रही है। जब जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अस्तित्व में नहीं आई थी, और रीयल एस्टेट व छोटे प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा जमीनों की बिक्री का चोखा धंधा नहीं पनपा था, तब जमीन सांस्कृतिक वस्तु थी और परंपरा से जुड़ी थी। बड़े शहरों में काम करने और होली-दिवाली जैसे त्योहारों पर अपने पैतृक गांवों में जाने वाले असंख्य लोग अब...

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