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मतदान से पहले कितना सोचते हैं हम-- बीजू डॉमिनिक

क्या वोटिंग एक तर्कसंगत प्रक्रिया है? यदि ऐसा है, तब तो आम मतदाता अपने फैसले पर पहुंचने से पहले काफी सोच-विचार करता होगा। मसलन, उम्मीदवार किस पार्टी से हैं? साल 2014 में जो पार्टी सत्ता में आई थी, उसने क्या-क्या वादे किए थे? उनमें से कितने प्रतिशत वादे पूरे हुए? उन्होंने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा न कर पाने के लिए क्या उनके पास वाजिब वजहें हैं? किस पार्टी...

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बढ़ते तापमान में मानसून की राहत- महेश पलावत

भारत में मानसून की भविष्यवाणी काफी अहमियत रखती है। इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह देश की कृषि-पैदावार और अर्थव्यवस्था की दशा-दिशा तय करती है। चूंकि भारत की करीब 58 फीसदी आबादी अब भी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है और सिंचाई का प्रमुख साधन मानसूनी बारिश है, इसलिए इस भविष्यवाणी से यह आकलन किया जाता है कि खरीफ की फसल कितनी...

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दलित विमर्श का हाशिए पर जाना-- बद्रीनारायण

स बार के संसदीय चुनाव में दलित विमर्श हाशिए पर जाता दिख रहा है। एक तो राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों में दलित समाज को वंचित श्रेणी में रखकर महिलाओं और अन्य वंचित-शोषित समुदायों के साथ ही प्रस्तुत किया जा रहा है। लिखित और प्रकाशित घोषणापत्रों व प्रचार सामग्रियों में ‘दलित' शब्द की जगह ‘अनुसूचित जाति' और ‘वंचित' जैसे शब्द आने लगे हैं। दलितों के लिए भी अन्य के साथ कुछ...

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जम्मू-कश्मीर: हिंसा के कारण विस्थापित होने वालों की तादाद सबसे ज्यादा तादाद

पाकिस्तान से बढ़ती सैन्य तनातनी और युद्ध की आशंका के बीच केंद्र सरकार ने घोषणा की : ‘जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास रहने वाले नागरिकों को भी आरक्षण का लाभ दिया जाएगा.' लेकिन क्या सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सचमुच आरक्षण का लाभ हासिल कर पाने की स्थिति में हैं ?   इस सवाल का उत्तर ढूंढ़ने के लिए इन तथ्यों पर गौर कीजिए : बीते साल जनवरी से जून महीने के...

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प्रति बूंद अधिक फसल योजना : दिन भर चले अढ़ाई कोस!

दो में दो को जोड़ने से हमेशा चार ही आये यह जरुरी नहीं- वह पांच..सात..दस कुछ भी हो सकता है. बात विचित्र लगती हो प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत चलाये जा रहे ‘प्रति बूंद अधिक फसल' के आंकड़ों पर गौर कीजिए.   प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के डैशबोर्ड पर दिख रहा आंकड़ा बताता है कि ‘प्रति बूंद-अधिक फसल' कार्यक्रम के तहत वित्तवर्ष 2017-18 में 11.25 लाख हेक्टेयर जमीन माइक्रो-सिंचाई के अंतर्गत लायी गई...

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