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कोविड-19 लॉकडाउन में बढ़ती समाचारों की खपत, गलत सूचनाओं का मकड़जाल और साइबर लूट

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान लोग देश और दुनिया की ताजा सूचनाओं के लिए टीवी मीडिया और इंटरनेट का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. टीवी मीडिया और इंटरनेट की खपत में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. टेलीविज़न मॉनिटरिंग एजेंसी BARC (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन की अवधि में टीवी पर समाचारों की खपत 298% बढ़ी है. इसके...

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सरकार जानती है, मजदूर बुरा नहीं मानते। लौट कर आएंगे, और कहां जाएंगे!

-जनपथ, श्रम, उत्पादन और निर्माण की प्रमुख धुरी है. श्रमिकों के बगैर इस दुनिया के गढ़े जाने की कल्पना नहीं की जा सकती. बावजूद इसके, पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक हाशिये पर हैं. हर आने वाली सरकार ने श्रम कानूनों को लघु से लघुतर बनाया है. कार्यस्थलों पर सुरक्षा व्यवस्थाओं के अभाव में दुर्घटनाओं में मजदूरों का मरना बदस्तूर जारी है. बुनियादी सुविधाओं की मांग, हड़ताल, यूनियन, सब जैसे बीते जमाने की बातें...

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क्या दिल्ली के रैनबसेरों में मजदूर ठीक-ठाक से रह रहे हैं?

-न्यूजलॉन्ड्री, राष्ट्रीय राजधानी में काम के अवसरों पर ताला लगते ही मजदूरों की बड़ी संख्या वापस अपने गांव-कस्बों में पहुंच चुकी है. लेकिन कुछ ऐसे भी मजदूर परिवार थे जो पुलिसिया सख्ती के कारण दिल्ली की सीमा को भेद नहीं पाए. आखिर यह सभी कहां हैं और कोरोना विषाणु से भयभीत इस दुनिया में उनके लिए क्या इंतजाम हो पाए हैं? "सर, यह रैनबसेरा काट रहा है? दो दिन हो गए. घर-परिवार...

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MP पुलिस की पिटाई से हुई किसान की मौत, कमलनाथ बोले शिव ‘राज’ में शुरू हो चुकी है दरिंदगी और बर्बरता

जनज्वार, जितनी ज्यादा समाज में कोरोना वायरस की भयावहता बढ़ती जा रही है, उससे कहीं ज्यादा खौफ लोगों में पुलिस का बन रहा है। इसकी वजहें भी हैं। इस दौरान कई ऐसी घटनायें सामने आयी हैं, जिनमें पुलिसिया प्रताड़ना खुलकर सामने आयी है। हाल की घटना उत्तर प्रदेश की है, जहां बिस्किट लेने घर से बाहर निकलने 22 साल के रिजवान को पुलिस ने इतना पीटा कि इलाज के दौरान उसकी...

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नोएडा के दिहाड़ी मजदूर: ‘‘सरकारी खाना मिल जाता है तो खाते हैं, नहीं तो उपवास’’

-न्यूजलॉन्ड्री, नोएडा सेक्टर पांच के लेबर चौक के पास अपने कुछ साथियों के साथ बैठे 55 साल के सर्वेश पाण्डेय मेरे सवाल करने से पहले पूछते हैं, ‘‘बेटा ये बताओ इलाहाबाद के लिए बसें कब से चलेंगी? 15 अप्रैल के बाद घर जा सकते हैं?’’ दोपहर के ग्यारह बज रहे थे जब हम सर्वेश से मिले. एक दिन पहले नोएडा प्रशासन द्वारा सेक्टर आठ से तीन सौ की संख्या में कोरोना संदिग्ध...

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