नयी दिल्ली : देश के अनेक हिस्सों में भयंकर लू से राहत मिलने के आसार हैं क्योंकि मौसम विभाग ने अगले दो दिन में मानसून पूर्व बारिश होने का अनुमान जताया है. मौसम विज्ञानियों ने इसके साथ ही चार और पांच मई को लू चलने संबंधी चेतावनी भी नहीं जारी की. भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिक एस डी पई ने कहा, ‘‘तापमान बढने के कारण हवा में कुछ नमी...
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50 डिफॉल्टर्स पर बकाया हैं सार्वजनिक बैंकों के 1.21 लाख करोड़ रुपए
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक यानी पीएसबी के टॉप-50 डिफॉल्टर्स पर दिसंबर 2015 तक की स्थिति के अनुसार, कुल 1.21 लाख करोड़ रुपए बकाया हैं। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने राज्य सभा में बताया कि पिछले तीन सालों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या दिसंबर 2015 तक बढ़कर 7,686 हो गई है, जो कि तीन साल पहले तक 5,554 थी। इसी प्रकार बकाये की रकम...
More »राजनीतिक पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र और वित्तीय पारदर्शिता बेहद जरूरी - जगदीप छोकर
चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टियों द्वारा मतदाताओं को लुभाने की कोशिशें तेज हो जाती हैं. कोई पैसे बांट कर लुभाता है, कोई शराब बांट कर लुभाता है, तो कोई उपहार बांट कर. करोड़ों रुपये पकड़े जाते हैं. हजारों बोतल शराब पकड़ी जाती है. जाहिर है, जिन पैसों से यह सब होता है, वह पैसा सही तो नहीं ही होगा. जो पैसा सही नहीं है, वह कालाधन की श्रेणी में अपने...
More »ताकि बैंकों की साख कायम रहे- एन के सिंह
हेनरी पॉलसन के मुताबिक, 'अगर कोई आर्थिक-तंत्र बिखरता है, तो फिर उसे पटरी पर लाना वाकई बहुत-बहुत मुश्किल हो जाता है।' भारत का वित्तीय क्षेत्र अभी गंभीर संकट में उलझा हुआ है। और यह संकट मुख्यत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों, यानी एनपीए के कारण पैदा हुआ है। 31 दिसंबर, 2015 तक 24 सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए 3,93,035 करोड़ रुपये था। अगर इसमें जोखिम वाले...
More »साढ़े सात करोड़ की आबादी में पांच करोड़ गरीब कैसे ? गड़बड़ है : सीएम
इंदौर। 'ग्रामोदय से भारत उदय' अभियान में शामिल होने सांवेर विधानसभा क्षेत्र के बूढ़ी बरलाई ग्राम पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए सरकार तमाम सुविधाएं जुटा रही है। प्रदेश की जनसंख्या साढ़े सात करोड़ है और पांच करोड़ से ज्यादा लोगों के नाम गरीबी रेखा में जुड़ गए। इतने गरीब कहां...
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