-द वायर, हाल ही में चेन्नई में भाजपा ने अपनी नई नेता खुशबू के नेतृत्व में तमिलनाडु के सांसद थिरुमावलवन द्वारा मनुस्मृति के बारे में की गई टिप्पणियों के विरोध में प्रदर्शन किया गया था. यह शायद भाजपा द्वारा मनुस्मृति के समर्थन में पहला सार्वजनिक प्रदर्शन था. ऐसा लगता है कि संघ परिवार अब खुलकर इस पुरातन ग्रंथ के पक्ष मे हमलावर रुख अपनाकर सामने आना वाला है. दरअसल, 5 अगस्त 2019...
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कोरोना काल में बिगड़ी घुमन्तु समुदाय (Nomadic Tribe) की औरतों की स्थिति
-सबरंग, डॉ भीमराव अम्बेडकर के अनुसार “किसी भी समाज की प्रगति का आकलन उस समाज में महिलाओं की प्रगति के द्वारा किया जा सकता है” लेकिन आज भी भारतीय समाज में औरतों ख़ास कर घुमंतू समाज के औरतों की स्थिति दयनीय बनी हुई है. भारत सांस्कृतिक रूप से विविधता वाला देश है जिसमें विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक पृष्ठभूमि वाले लोग रहते हैं. हर वर्ग में महिलाओं की स्थिति भिन्न तरीके से...
More »मोदी ऐसा कृषि बिल क्यों नहीं लाते कि किसानों को हमेशा MSP मिले: पी साईनाथ
-बीबीसी, किसानों के ग़ुस्से को शांत करने के लिए वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने नरेंद्र मोदी सरकार को सुझाव देते हुए कहा है कि 'वो क्यों ना इन तीन कृषि बिलों के साथ एक और बिल ले आएँ, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के कभी लुप्त ना होने देने की गारंटी देता हो.' साईनाथ ने कहा है कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया है कि वे एमएसपी कभी लुप्त नहीं होने...
More »बड़ी पड़ताल: उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन, कितना टिकाऊ?
-डाउन टू अर्थ, उत्तराखंड के प्रमुख पर्वतीय शहर पौड़ी से लगभग 15 किलोमीटर दूर गांव कठूड़ की स्यारियों (गदेरे यानी बरसाती नदी से लगते खेत) में विकास रावत और आलोक चारू अपने साथियों के साथ खेत में लगी सब्जियां तोड़ रहे हैं। कुछ ही देर में आसपास के गांव के लोग ये सब्जियां खरीदने आने वाले हैं। ये लोग पेशे से सब्जी किसान नहीं हैं। विकास कोरोना संक्रमण को रोकने के...
More »भारतीय महिलाएं अपने से कम पढ़े-लिखे पुरुषों से शादी क्यों करती हैं?
-सत्याग्रह, भारतीय महिलाओं के शिक्षा के स्तर में तो बढ़ोत्तरी हो रही है लेकिन इसके साथ-साथ अब उनके लिए अपने जितना या ज्यादा पढ़ा-लिखा दूल्हा पाना पहले से मुश्किल हो गया है. और इसकी वजह यह नहीं है कि अब वे लड़कों से ज्यादा शिक्षित हो गई हैं. यह परिणाम एक ऐसे शोध के हैं जिसमें 1970 से लेकर 2000 के दशक तक भारत में हुई शादियों की तुलना की गई...
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