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यमुना का यह हाल क्यों है-- पंकज चतुर्वेदी

पिछले एक सप्ताह से दिल्ली के अतिविशिष्ट इलाके लुटियन जोन के नल रीते थे, कारण हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश कर रही यमुना इतनी जहरीली हो गई थी कि वजीराबाद व चंद्रावल के जल परिशोधन संयंत्र की ताकत उन्हें साफ कर पीने लायक बनाने के काबिल नहीं रह गई थी। वैसे तों दिल्ली भी यमुना को ‘रिवर' से ‘सीवर' बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती, लेकिन इस बार हरियाणा के...

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मरती हुई झीलों को मिल रही जिंदगी--

ऐसे कई उदाहरण हैं, जब एक अकेले इनसान ने अपनी कोशिशों से अपने आसपास के सूरत-ए-हाल को बदल डाला है. आज की स्टोरी में हम आपको एक ऐसे ही ‌व्यक्ति के काम के बारे में बता रहे हैं, जिसने अपने अथक प्रयास से झीलों को पुनर्जीवन दे दिया.   क्या हम सिर्फ अपने लिए जवाबदेह हैं, या अपने परिवार के लिए या अपने समुदाय के लिए? तो फिर धरती, पहाड़ों, नदियों...

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झारखंड ECL माइन धंसान हादसा : अब तक सात शव निकाले गये, अब भी 35-40 मजदूर दबे हुए

गोड्डा/बोआरजोर (झारखंड) : झारखंड के गोड्डा जिले के ललमटिया क्षेत्र के भोड़ाय काेल माइंस साइट में गुरुवार रात आठ बजे धंसे खदान से अब तक सात लाशें निकाली जा चुकी है. एक लाश मलवे में दबी हुई दिखाई दे रही है. 35 से 40 और मजदूरों के दबे होने की आशंका है. मलवे ने निकाली गयी सात में पांच लाशों की पहचान कर ली गयी है. इनमें से एक झारखंड,...

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उम्मीद जगाती है पर्यावरण संरक्षण की यह सतर्कता

अब जब साल खत्म होने को है, सामान्य सी बात है कि हम अतीत पर नजर डालें, सोचें कि क्या अच्छा हुआ, क्या नहीं। बेहतर तो यही होगा कि हम यह देखें कि पर्यावरण और हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए क्या पहल हुई? पर्यावरण सूचकांक भले ही मंदा दिखे, लेकिन इस एक साल में कुछ ऐसा भी हुआ, जो उम्मीद जगाता है। यह उदाहरण उत्साहित करने वाला है- अमेरिकी मूल...

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काहे रे नदिया तू बौरानी!-- अनिल रघुराज

पानी गले तक आ जाये, तो औरों का भरोसा छोड़ कर खुद ही सोचना और खोजना पड़ता है कि बचने का क्या रास्ता है. दो साल के सूखे के बाद सामान्य माॅनसून ने पूरब से लेकर उत्तर भारत के तमाम इलाकों में यही हालत कर दी है. शहरों, कस्बों व गांवों में लोग घरों से निकल कर सड़कों पर आ गये हैं. नदियां बावली हो गयी हैं. कई जगह तो...

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