इधर लोकसभा में मोदी सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी. उधर अखिल भारतीय किसान संघ समिति के बैनर तले 201 किसान संगठनों के प्रतिनिधि संसद के बाहर प्रदर्शन कर इस सरकार में अविश्वास जतायेंगे. दसों दिशाओं से किसानों का संदेश संसद के दरवाजे पर दस्तक देगा. लोकसभा के भीतर यह आवाज पहुंचे न पहुंचे, लेकिन हम सब दस दिशाओं से आनेवाली इन आवाजों को सुन सकते हैं, उन...
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जेटलीजी तो खेल कर गये-- योगेन्द्र यादव
‘बधाई हो, आपकी मेहनत रंग लायी!' बजट के अगले दिन एक दोस्त से मिली इस बधाई से मैं हैरान था. ‘किस बात की बधाई?' मैंने पूछा. ‘अरे, अरुण जेटली ने आपकी मांग मान ली?' ‘कहां मानी?' मैं अब भी हैरान था. 'भई आप यही मांग रहे थे न कि किसान को उसकी लागत का ड्योढ़ा दाम मिले? मैंने खुद सुना कि वित्त मंत्री ने घोषणा की और कहा कि...
More »शोर ज्यादा, मतलब की बातें कम-- अभिजीत मुखोपाध्याय
जैसी कि उम्मीद थी, केंद्रीय बजट-कम-से-कम बजट भाषण- में खेती और ग्रामीण क्षेत्र पर बहुत ही अधिक फोकस किया गया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत से डेढ़ गुना करने का फैसला 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने के सरकार के दीर्घकालिक महत्वाकांक्षा के अनुरूप है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने भाषण में कहा है कि नीति आयोग द्वारा तैयार प्रणाली के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य तय...
More »छोटे कदमों से बड़े बदलाव-- वरुण गांधी
कायदे से तो भारत के गांवों में कोई परेशानी ही नहीं होनी चाहिए थी- आखिर कृषियोग्य भूमि के मामले में हमारा देश दुनिया में दूसरे स्थान पर है. लेकिन, उपजाऊ जमीन के एक तिहाई पर ही सिंचाई की सुविधा है, बाकी क्षेत्र बारिश पर निर्भर है. छोटी होती जोत और खेती की बढ़ती लागत से किसान पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2014 से 17 के...
More »कृषि को लाभकारी बनाना अपरिहार्य-- विवेक त्रिपाठी
भारत में किसान को अन्नदाता की उपाधि दी गई। पर आज वह निराश नजर आ रहा है। कृषि उपज का वाजिब मूल्य न मिलने से वह परेशान है। किसान को कर्ज लेना पड़ रहा है। वही उसके लिए जानलेवा साबित होता जा रहा है। किसानों की आत्महत्याओं में दिन-प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। भारत में किसान आत्महत्या 1990 के बाद पैदा हुई स्थिति है, जिसमें प्रतिवर्ष दस हजार से...
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