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कोरोना महामारी ने मनरेगा के सामाजिक ऑडिट सिस्टम को प्रभावित किया है!

जब महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) - एक मांग-संचालित कार्यक्रम पर सार्वजनिक धन का एक बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता है, तो वित्तीय गड़बड़ी और कुप्रबंधन की संभावना होती है. शुक्र है कि ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून में इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए चेक और बैलेंस मौजूद हैं. यह ध्यान देने योग्य है कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) के तहत 2020-21 के लिए...

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छत्तीसगढ़ में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में बड़े किसानों के साथ आए खेत मजदूर

-कारवां, “मनरेगा में हमें यह सरकार अब मुश्किल से बीस दिन ही काम दे रही है. जब हमने मनरेगा में काम करना शुरू किया था तो किसी साल 50-60, तो किसी साल 80 दिनों तक हमें अपने गांव में ही काम मिल जाता था. पर, हमें तो अपना गुजारा करने के लिए साल के सभी दिन काम चाहिए न. इसलिए, कुछ दिन हम अपने खेत और कुछ दिन बड़े किसानों के खेतों...

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निजीकरण के लिए बैंक ऑफ इंडिया जैसे चार बैंकों का चयन: रिपोर्ट

-द वायर, केंद्र सरकार ने मध्यम आकार के सरकार संचालित चार बैंकों का निजीकरण करने के लिए चयन किया है. तीन सरकारी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. सरकार का यह कदम उसकी उस बड़ी योजना का हिस्सा है जिसके तहत वह सरकारी संपत्तियों को बेचकर राजस्व बढ़ाने की तैयारी कर रही है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, सरकार की भारी-भरकम हिस्सेदारी वाले इन बैंकों में सैंकड़ों-हजारों कर्मचारी काम करते हैं और बैंकिंग सेक्टर...

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तीन-चौथाई जरूरतमंद परिवारों को सितम्बर 2020 में नहीं मिला मुफ्त राशन: सर्वे

-डाउन टू अर्थ, सितम्बर 2020 में तीन-चौथाई जरूरतमंद गरीब परिवारों को मुफ्त राशन नहीं मिला था, जबकि वो उसके पात्र थे। यह जानकारी अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी द्वारा किए सर्वेक्षण में सामने आई है। यही नहीं सर्वे के मुताबिक जन धन खाताधारकों में से 30 फीसदी पात्र खाताधारकों को उनके खाते में सहायता राशि नहीं मिली है। लॉकडाउन के बाद देश में रोजगार की स्थिति को समझने के लिए अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने...

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लॉकडाउन के बाद भी भुखमरी और सिकुड़ती आय के खतरे बरकरार!

11 राज्यों के 3,994 उत्तरदाताओं के बीच एक सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश कमजोर परिवारों और समुदायों, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, पीवीटीजी, झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले, दिहाड़ी मजदूर, किसान, एकल महिला परिवार, इत्यादि में लॉकडाउन से पहले उनकी आय के स्तर की तुलना में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उनकी आय कम रही है. राइट टू फूड कैंपेन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (टेलीफोनिक सर्वेक्षण के...

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