हमारे देश की एक बड़ी आबादी ऐसी है, जिसके लिए साइकिल आज भी एक शान की सवारी है. और कई लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए सवारी का यह सबसे सस्ता माध्यम भी मयस्सर नहीं है. ऐसे ही लोगों के लिए शुरू किया गया है 'साइकिल रीसाइकिल' प्रोजेक्ट. महाराष्ट्र के रहनेवाले एक खेल पत्रकार के दिमाग की यह उपज, शहरों में रहनेवाले संपन्न तबकों के पास बेकार पड़ी साइकिलों की...
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सब्सिडी : कल्याण या राजनीति? मुफ्तखोरी के दुष्चक्र में फंसता देश
ज्यादातर देशों में एक ओर जहां राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए मुफ्तखोरी को हथियार बनाती हैं, वहीं इसी दुनिया में स्विटजरलैंड जैसा भी एक देश है, जहां की जनता ने सरकार की इस पेशकश को ठुकरा दिया. दूसरी तरफ भारत में देखें तो राजनीतिक पार्टियां और सरकारें मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्तखोरी को बढ़ावा देनेवाली नीतियों को प्रश्रय देती रहती हैं भारत जैसे कल्याणकारी राज्य में सब्सिडी एक जरूरी...
More »डॉक्टर ने बदली तीन सौ गांवों की तस्वीर
भारतीय रेलवे के कर्मचारी देवराव कोल्हे के पुत्र रवींद्र नागपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे थे। हर किसी को उनके डॉक्टर बनकर अपने गांव शेगाव लौटने का इंतजार था, लेकिन किसे मालूम था कि शहर में अच्छी प्रैक्टिस शुरू करने की बजाय रवींद्र एकदम उल्टी दिशा ही पकड़ लेंगे। वे महात्मा गांधी और विनोबा भावे की किताबों से बहुत प्रभावित थे। पढ़ाई पूरे होते-होते वे निश्चय कर चुके थे कि...
More »मराठवाड़ा की प्यास बुझा रही मुंबईवासियों की जनभागीदारी
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। प्यासे मराठवाड़ा की प्यास बुझाने के लिए जहां ट्रेन एवं हजारों टैंकरों की मदद ली जा रही है, वहीं मुंबईवासियों द्वारा भेजी जा रही एक-एक लीटर की बोतलें भी बहुत काम आ रही हैं। कुछ दिनों पहले बीड जिले के मानखुरवाड़ी गांव में 10,000 लीटर पानी की बोतलों से लदा बड़ा ट्रक पहुंचा तो गांववालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पिछले कई दिनों से शुद्ध पेयजल न...
More »यहां कर्ज नहीं, अनाज मिलता है
गरीबों को जीवन चलाने के लिए कर्ज लेना ही पड़ता है. लेकिन जब ब्याज के साथ महाजन को कर्ज चुकाने की बारी आती है, तो बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाती है. किसानों के लिए खुदकुशी करने की नौबत तक आ जाती है. पटना के आस-पास की कुछ महिलाएं अनूठा प्रयोग करते हुए अनाज बैंक चला रही हैं. जो महाजन के जुल्म से मुक्ति की सफल दास्तां है. पटना: मोहनचक की...
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