यूरोप की अर्थव्यवस्था दूसरे विश्वयुद्व के बाद पूरी तरह लड़खड़ा गई थी और उस समय उद्योग को मूलमंत्र मानकर विकास की रूपरेखा तैयार की गई। इसी समय विकास की दिशा में दो बड़े परिवर्तन हुए। पहला विकास की परिभाषा गढ़ी गई, जिसका मतलब सीधा-सा यह था कि उद्योग और उससे जुड़े तमाम आगे-पीछे के आयामों को ही विकास मान लिया जाए। दूसरा इसी के बाद भोगवादी सभ्यता का तेजी से...
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कैसे पूरा होगा स्वच्छ भारत का सपना- पत्रलेखा चटर्जी
जिस देश में मोबाइल फोन की संख्या निजी टॉयलेट से कहीं अधिक है, वहां स्वच्छ भारत अभियान की सफलता की रातोंरात अपेक्षा नहीं की जा सकती। लोगों की सहभागिता के बगैर इसमें कामयाबी की उम्मीद करना बेमानी होगा, और यह संवाद के जरिये ही मुमकिन है। एक मित्र की टिप्पणी थी कि अगर कोई झाड़ू कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होती, तो इन दिनों इसके शेयर आसमान छू रहे होते। महात्मा...
More »ढाई लाख प्राथमिक स्कूलों में अलग-अलग शौंचालय नहीं
देश के 1.61 लाख स्कूलों में शौंचालय बंद पड़े हैं जबकि करीब ढाई लाख स्कूलों ऐसे हैं जिनमें या तो लड़कों के लिए अलग शौंचालय नहीं हैं या फिर लड़कियों के लिए। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इन स्कूलों में शौंचालयों के निर्माण के लिए सभी से सहयोग की अपील की है। इसलिए उसने मंत्रालय की वेबसाइट पर ऐसे स्कूलों का न सिर्फ ब्यौरा डाल दिया है बल्कि यदि कोई...
More »महिलाओं के लिए सार्वजनिक सुविधाएं आधी भी नहीं
महिलाओं को सार्वजनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले में दिल्ली पीछे है। यहां के तीनों नगर निगम क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए सार्वजनिक सुविधाएं आधी ही हैं। सार्वजनिक शौचालयों के अलावा पुरुषों के लिए अलग से यूरीनल ब्लॉक हैं जबकि महिलाओं के लिए ऐसी कोई भी सुविधा नहीं है। तीनों ही निगम क्षेत्रों में लोगों को उपलब्ध कराई जा रही सार्वजनिक सुविधाओं की तुलना आबादी से करें...
More »बिहार के 51 प्रतिशत घरों में मोबाइल, 23 प्रतिशत में टॉयलेट
पटना। पिछले हफ्ते जनगणना आंकड़ों से संबंधित रिपोर्ट जारी होने के बाद जानकारी प्राप्त हुई है कि बिहार के 51.6 घरों में कम से कम एक मोबाइल फोन है और 23 प्रतिशत घरों में टॉयलेट उपलब्ध है। उपलब्ध टॉयलेट में 69 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में और 17.6 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में हैं। इस संबंध में थिंक टैंक के डायरेक्टर डीएम दिवाकर और इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज के एएन सिन्हा का...
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