मोदी सरकार के पिछले दो साल के कार्यकाल के दौरान थोक व खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट के बावजूद खाद्य पदार्थों खासकर दाल और चीनी जैसे कई जिंसों के भावों में उछाल आया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और अन्य जिंसों के दामों में गिरावट के साथ-साथ सरकार के राजकोषीय अनुशासन और रिजर्व बैंक की कठोर नीति के कारण मुद्रास्फीति काबू में है। लेकिन दो साल से कम बारिश के...
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थोक मुद्रास्फीति शून्य से नीचे फिर भी खाद्य महंगाई संकट
नई दिल्ली। सरकार भले ही थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति को काबू कर शून्य से नीचे रखने में कामयाब रही हो लेकिन खाद्य वस्तुओं की बढ़ती महंगाई दर बड़ी चुनौती बनी हुई है। खाद्य महंगाई दर लगातार बढ़ते हुए दिसंबर में 8.17 प्रतिशत पर पहुंच गई है। खास बात यह है कि केंद्र की तमाम कोशिशों के बावजूद दलहन की महंगाई दर थमने का नाम नहीं ले रही है। वहीं...
More »बिचौलियों का खेल है कीमत वृद्धि-- रघु ठाकुर
सरकार ने प्याज के निर्यात का फैसला किया है। कहा गया है कि किसानों को प्याज की पर्याप्त कीमत मिल सके, इसलिए प्याज के निर्यात का निर्णय किया गया। दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय सरकार ने प्याज के निर्यात पर यह कह कर रोक लगाई थी कि प्याज के दाम बहुत बढ़ गए हैं और उत्पादन और उपलब्धता कम है। उस समय शहरों के बाजारों में प्याज के दाम बढ़...
More »महंगाई दर 14 माह का उच्चतम स्तर
नई दिल्ली। महंगाई डायन एक बार फिर पांव पसार रही है। लगातार चौथे महीने खुदरा महंगाई की दर का रुख ऊपर की तरफ बना हुआ है। यही नहीं, अब थोक महंगाई की दर भी बढ़ने लगी है। नवंबर में दालों, फलों और सब्जियों की कीमतों के चलते खुदरा महंगाई की दर 5.41 फीसद पर पहुंच गई। यह इसका 14 माह का उच्चतम स्तर है। अक्टूबर में मुद्रास्फीति की यह दर...
More »महंगाई में किसका स्वार्थ है-- अश्वनी कुमार ‘शुकरात'
फिल्म ‘पीपली लाइव' का एक गीत काफी लोकप्रिय हुआ था। इस गीत के माध्यम से एक प्रमुख सामाजिक-आर्थिक समस्या महंगाई की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया है। गीत के बोल हैं- ‘सइयां तो बहुत कमात हैं, महंगाई डायन खाए जात है।' यानी रात-दिन काम करने के बावजूद कमाई की अपेक्षा महंगाई कई गुना अधिक बढ़ती जा रही है। इसलिए घर में जो जरूरी पदार्थ आने चाहिए, वे...
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