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कुछ लोग कानून से परे क्यों? : गुरचरन दास

सितंबर की उस तपती हुई दोपहर को जब मुख्य और जिला सत्र न्यायाधीश एस कुमारगुरु ने निर्णय सुनाना शुरू किया, तब धर्मपुरी (तमिलनाडु) के उस खचाखचभरे कोर्टरूम में खामोशी पसरी हुई थी। न्यायाधीश ने 3.30 बजे निर्णय सुनाना प्रारंभ किया था, लेकिन यह प्रक्रिया लगभग एक घंटे तक जारी रही, क्योंकि उन्हें उन 215 सरकारी अधिकारियों के नाम पढ़कर सुनाने थे, जिन्हें दोषी ठहराया गया था। उन 12 अधिकारियों को...

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सात साल की बच्ची की शादी का प्रयास

पीढ़ी-दर-पीढ़ी चल रही कुप्रथा व रुपयों की खातिर मासूम बच्चियों की शादी करने का सिलसिला समाज में आज भी जारी है। ऐसा ही एक मामले का भंडाफोड़ 'दैनिक जागरण' ने वीरवार को नजदीकी गांव चड़िक की दाना मंडी में किया जहां राजस्थान की भाठ समुदाय से संबंधित एक सात वर्षीय बच्ची की शादी की तैयारी की जा रही थी। गौर रहे कि उक्त समुदाय में सात-आठ वर्ष के बच्चों की...

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न्याय:कितना दूर-कितना पास

  खास बात  • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।*  • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...

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