कायदे से तो भारत के गांवों में कोई परेशानी ही नहीं होनी चाहिए थी- आखिर कृषियोग्य भूमि के मामले में हमारा देश दुनिया में दूसरे स्थान पर है. लेकिन, उपजाऊ जमीन के एक तिहाई पर ही सिंचाई की सुविधा है, बाकी क्षेत्र बारिश पर निर्भर है. छोटी होती जोत और खेती की बढ़ती लागत से किसान पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2014 से 17 के...
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सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप : 'मनरेगा को मारने की कोशिश कर रही सरकार'
क्या सरकार बजट में मनरेगा को लेकर किए गए अपने वादे से पीछे हट रही है ? ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के जमीनी क्रियान्वयन पर नजर रखने वाले नागरिक-संगठनों के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि 'हां, सरकार मनरेगा के नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रही है!' नई दिल्ली स्थित विमेन्स प्रेस कॉर्प में बीते 19 अप्रैल को हुई एक बैठक में मनरेगा के जमीनी क्रियान्वयन से जुड़े जाने-माने कार्यकर्ताओं ने सरकारी स्तर...
More »‘माननीयों’ को बस अपनी चिंता-- आशुतोष चतुर्वेदी
सांसदों के वेतन, भत्तों और पेंशन में बढ़ोत्तरी के फैसले और इसके तौर तरीके पर सवाल उठ रहे हैं. देश की सर्वोच्च अदालत ने जब इस पर सवाल उठाया, तो सांसदों को यह नागवार गुजरा और कुछेक सांसदों ने तो न्यायपालिका से दो टूक शब्दों में कहा कि वह अपनी सीमा में रहे. सांसदों की दलील थी कि अपना वेतन-पेंशन बढ़ाने का अधिकार उनके पास है और अदालतें इस विशेषाधिकार...
More »ताकि हर बच्चे को मिले अच्छी शिक्षा-- हरिवंश चतुर्वेदी
संख्या के आधार पर देखा जाए, तो दुनिया में भारत की स्कूली शिक्षा-व्यवस्था चीन के बाद दूसरे स्थान पर होगी। देश के15 लाख स्कूलों में 26 करोड़ बच्चे पढ़ते हैं। इन 15 लाख स्कूलों में 11 लाख सरकारी और चार लाख प्राइवेट स्कूल हैं। प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापकों की संख्या 85 लाख है, जिनमें से 47 लाख अध्यापक सरकारी स्कूलों में कार्यरत हैं। हर वर्ष सालाना परीक्षाओं में जब...
More »मजदूर होने का मतलब- डा अनुज लुगुन
अभी कुछ दिन पहले ही कोलकाता में ओवरब्रिज के गिरने से 22 लोगों के मरने की खबर आयी थी. मरनेवालों में ज्यादातर मजदूर थे. इनमें से एक उत्तर प्रदेश निवासी शंकर पासवान भी था, जो मोटिया का काम करता था. वह होली में अपने घर इसलिए नहीं गया, ताकि वह कुछ दिन और काम करके बेटी की शादी के लिए कुछ पैसे जमा कर सके. यह हमारे देश के मजदूरों...
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