इंडियास्पेंड, 12 जुलाई इस मौसम को खेती के लिए सबसे सही माना जाता है। लेकिन नासिक के उतराने गांव के सुनील पगार अभी तक अपनी 10 एकड़ जमीन पर बुआई भी शुरू नहीं कर पाये हैं । वह मक्का बोने की योजना बना रहे हैं। लेकिन दक्षिण-पश्चिम मानसून में देरी की वजह से उनके गांव में 3 जुलाई तक अच्छी बारिश नहीं हुई। वे अब बाजश्रा बोने की सोच रहे हैं...
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पंचायतों में महिलाओं की मौज़ूदगी से ऐसे बदल रही है गाँवों की तस्वीर
गाँव कनेक्शन, 5 जुलाई महोबा के मामना गाँव की पँच रह चुकी पनकुंवर अपने गाँव की महिलाओं के लिए मिसाल हैं। दरअसल पँचायत सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद भी उनको रबर स्टैंप से ज़्यादा अहमियत नहीं दी जाती थी। अक्सर प्रधान रजिस्टर पर दस्तख़त लेने के लिए किसी न किसी को उनके पास भेज देते थे। लेकिन एक दिन उनके इसपर एतराज़ और सवाल पूछने से ये परम्परा...
More »पंजाब में कपास की सफेदी कम, धान पर जोर अधिक! नहीं पूरा हुआ कपास की बिजाई का सरकारी लक्ष्य
गाँव सवेरा, 26 जून लगातार तीन सालों से कपास की फसल पर हो रहे कीटों के हमले से पंजाब के किसान परेशान हैं. सूबे के कुछ इलाकों में तो इससे बड़ा भारी नुकसान होता है. इसी वजह से कृषि विभाग भी अलर्ट पर है. कपास की फसल पर फूल आने वाले हैं, लेकिन उससे पहले ही कीटों ने फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया हैं. पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह...
More »रिपोर्ट में खनन से जुड़े क्या कुछ तथ्य आए सामने, केन नदी से जुड़ा है मामला
डाउन टू अर्थ, 22 जून नदी तटों के प्रतिबंधित क्षेत्रों में खनन न हो इससे बचने के लिए केन नदी के पास खनन पट्टों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ऐसे में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा दायर संयुक्त समिति की रिपोर्ट में इन-स्ट्रीम खनन को रोकने के लिए नदी के किनारे और भीतर खदान क्षेत्रों का आबंटन न करने की सलाह दी गई है। यह मामला उत्तर प्रदेश...
More »साल 2022 में 4 करोड़ बच्चों को मजबूरी में छोड़ना पड़ा अपना घर, ये थी वजह?
डाउन टू अर्थ, 22 जून संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के मुताबिक 2022 में करीब 4.33 करोड़ बच्चों को जबरन विस्थापित होने का दंश झेलना पड़ा था। विस्थापित बच्चों का यह आंकड़ा 2022 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। गौरतलब है कि अपने घरों को छोड़ जबरन विस्थापित हुए बच्चों की संख्या पिछले दशक में बढ़कर दोगुनी हो गई है। इनमें से 1.2 करोड़ बच्चे वो थे जिनकों बाढ़, सूखा, तूफान...
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