यह चिंताजनक है कि कृषि प्रधान देश भारत में पशुपालन के प्रति लोगों की अरुचि बढ़ती जा रही है। मवेशियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। आजादी के बाद से 1992 तक देश में मवेशियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। लेकिन उसके बाद इनकी संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 2007 में पशुओं की संख्या में मामूली वृद्धि हुई थी लेकिन उसके बाद इनकी...
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'पंजाब जैसे न हो जाएं MP के हालात, कई क्षेत्रों में विकास दर नीचे'
भोपाल। नीति आयोग ने मप्र सरकार को आईना दिखाते हुए कहा है कि प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में भले ही विकास किया हो, लेकिन अन्य क्षेत्रों में प्रदेश राष्ट्रीय औसत से भी पीछे है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने सोमवार को मप्र के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मप्र को पंजाब मत बनाइए। यह अच्छी बात है कि कृषि क्षेत्र में...
More »छत्तीसगढ़ में अब पांच रूपए में मिलेगा टिफिन
रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने तमिलनाडु के अम्मा कैंटीन की तर्ज पर मजदूरों के लिए टिफिन की सौगात दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर रविवार को तेलीबांधा में मुख्यमंत्री ने टिफिन सेंटर शुरू कर दिया, जहां केवल 5 रुपए में दाल-भात मिलेगा। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि एक साल के भीतर प्रदेश के सभी 27 जिलों में ऐसे 60 केन्द्र खोले जाएंगे। हर केन्द्र में एक हजार के...
More »निजता के अधिकार पर प्रहार-- रीतिका खेड़ा
पिछले हफ्ते जब सुप्रीम कोर्ट में ‘राइट टू प्राइवसी' यानी निजता के अधिकार पर सुनवाई चल रही थी, तब सरकारी वकील केके वेणुगोपाल ने पीठ पर बैठे नौ जजों से कहा कि ‘जीवन का अधिकार', ‘निजता के अधिकार' से ऊपर है, और चूंकि आधार जीवन के अधिकार को ‘रीयलाइज' करने के लिए जरूरी है, इसलिए आधार प्रोजेक्ट को चलने देना चाहिए, बावजूद इसके कि शायद कहीं और कभी-कभी उससे निजता...
More »पहाड़ी कोरवाओं की बेंवर--- खेती बाबा मायाराम
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है लेकिन यहां ऐसे समुदाय भी हैं, जो धान की खेती नहीं करते। उनमें से एक समुदाय है पहाड़ी कोरवा। पहाड़ी कोरवा उन आदिम जनजाति में एक है जिनका जीवन पहाड़ों व जंगलों पर निर्भर है। यह आदिवासी पहाड़ों पर ही रहते हैं और इसलिए इन्हें पहाड़ी कोरवा कहते हैं। ये लोग बेंवर खेती करते हैं जिसमें सभी तरह के अनाज एक...
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