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बजट 2018: PMEGP में 7.5 लाख को मिलेगा रोजगार, सरकार ने बढ़ाया 80% टारगेट

नई दिल्‍ली। रोजगार के मोर्चे पर सवालों से घिरी मोदी सरकार ने इस बार प्रधानमंत्री इम्‍प्‍लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम (पीएमईजीपी) का टारगेट बढ़ा दिया है। बजट 2018 में फाइनेंस मिनिस्‍टर अरुण जेटली ने पीएमईजीपी का फाइनेंशियल आउटले 1800 करोड़ रुपए रखा है, जबकि पिछले बजट 2017 में यह 1024 करोड़ रुपए था। पीएमईजीपी के तहत 2018-19 में 7.04 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्‍य रखा गया है। 88 हजार प्रोजेक्‍ट...

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बिहार : किसानों के लिए बढ़ी लोन की लिमिट फिर भी ऋण देने से कतरा रहे हैं बैंक

पटना : राज्य के किसानों को समृद्ध और कृषि को सुदृढ़ बनाने के साथ-साथ इसमें स्वरोजगार विकसित करने के लिए कम ब्याज दर पर आसानी से ऋण मुहैया कराना बेहद ही सशक्त माध्यम है.   इसे लेकर केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर कई योजनाएं तो चलायी जा रही हैं लेकिन ऋण वितरण करने में बैंक वाले उतनी रुचि नहीं ले रहे हैं. कृषि, डेयरी, पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गी पालन...

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स्थायी नौकरियों का मकड़जाल - मृणाल पांडे

बेरोजगारी फिलहाल देश की बड़ी चिंताओं में पहले पायदान पर है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने देश को आश्वस्त किया कि गत एक बरस में 18-25 की उम्र के 70 लाख युवाओं ने संगठित क्षेत्र में रोजगार पाया, इसका प्रमाण सरकारी बही में दर्ज कर्मचारी भविष्यनिधि (ईपीएफ) के 70 लाख नए खाते हैं। इस आशावादी घोषणा का आधार थी (विगत जनवरी में छपी आईआईएम के प्रोफेसर पुलक घोष व एक राष्ट्रीयकृत...

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बचत पर बाजार की नजर-- राजू पांडेय

अब आम आदमी का धन क्या बैंकों में सुरक्षित नहीं रहेगा? एफआरडीआइ विधेयक की बाबत इस सवाल पर चर्चा जारी है। सामान्यतया बैंक और उसके जमाकर्ताओं के हित परस्पर विरोधी नहीं होते, पर जब उद्योगपतियों को दिए गए विशाल कर्जों की माफी के लिए ‘बेलआउट पैकेज' और इस कारण दिवालियेपन के कगार पर पहुंचे बैंकों को बचाने के लिए ‘बेल इन' का सहारा लिया जाता है तब बैंकों और जमाकर्ताओं...

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कुप्रबंधन की थाली में फिर से न परोसा जाए पोषाहार!-- आशीष व्यास

'ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट 2016" के अनुसार मध्यप्रदेश की स्थिति बच्चों के कुपोषण-भूख के मामलों में चिंताजनक है। श्योपुर में कुपोषण से 2016 में 55 बच्चों की मौत हुई थी। इस साल भी तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। माना जाता है कि प्रदेश में सिर्फ 23 प्रतिशत बच्चे ही आंगनवाड़ियों में दर्ज हैं और इन्हीं के जरिए बच्चों के लिए पोषाहार की व्यवस्था की जाती है। पांच वर्ष...

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