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सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश

अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...

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ग्रामोद्योग की फिक्र किसे है- अरुण तिवारी

निवेश और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न शुल्क और मंजूरियों में छूट से लेकर तकनीकी उन्नयन और इ-बिज पोर्टल जैसी तमाम घोषणाएं बजट में है। मंजूरियों में छूट को लेकर एक विधेयक लाने की तैयारी का संकेत भी कर दिया गया है। कहना न होगा कि वित्तमंत्री ने उद्योगों की तो खूब चिंता की, परग्रामोद्योगों को अब भी प्रतीक्षा है कि कोई आए और अलग से उनकी चिंता...

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2 से 2.5 लाख रुपए में सरकारी मेडिकल स्‍टोर खोलने का मौका, देशभर में खुलेंगे 3000 स्‍टोर

नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार ने जनऔषधि योजना के तहत देश भर में जेनरिक दवाओं के तीन हजार से ज्‍यादा स्‍टोर खोलने की योजना बनाई है। जिनके जरिए कई गुना सस्‍ती नॉन ब्रांडेड दवाओं की बिक्री को बढ़़ावा दिया जाएगा। योजना के तहत सरकार जनऔषधि स्‍टोर को जेनरिक दवाओं की आपूर्ति सरकार करती है, जिनकी बिक्री पर 16 फीसदी कमीशन दिया जाता है। इसके अलावा स्‍टोर शुरू करने के लिए सरकार...

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मप्र में उद्योग लगाइए, प्रोडक्ट की हम करेंगे मार्केटिंग: मुख्‍यमंत्री

इंदौर। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों का कद बढ़ाते हुए राज्य सरकार इनके लिए अलग मंत्रालय बनाएगी। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2014 के पहले दिन बुधवार को जब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इसकी घोषणा की तो ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर का हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से भर गया। इसके साथ ही लघु उद्यमियों की लंबे समय से चली आ रही मांग भी पूरी हुई। मुख्यमंत्री ने लघु उद्यमियों से यह वादा भी किया...

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‘हिंदी प्रदेश’ की पहचान के मायने- शैबाल गुप्ता

शैबाल गुप्ता जाने-माने अर्थशास्त्री और एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के सदस्य सचिव हैं. पिछले दिनों इलाहाबाद स्थित गोविंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट ने उन्हें 29वें ‘गोविंद बल्लभ पंत मेमोरियल लेक्चर' में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था. इस अवसर पर बोलने के लिए उन्होंने जो विषय चुना, उसका शीर्षक था- ‘आइडिया ऑफ द हिंदी हार्टलैंड'. हिंदी में इसे ‘हिंदी प्रदेश की धारणा' कहा जा सकता है. इस...

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