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जेंडर

खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

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विश्व जनसंख्या दिवसः भारत कब चीन को पीछे छोड़ देगा, कितनी है दुनिया की आबादी?

बीबीसी हिन्दी, 11 जुलाई साल 1989 में यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (1989) की गवर्निंग काउंसिल ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के तौर पर मनाने का फ़ैसला किया. इसके अगले साल यानी 1990 में पहली बार दुनिया के 90 देशों में 'विश्व जनसंख्या दिवस' मनाया गया. आबादी के ट्रेंड क्या कहते हैं? ये आंकड़े किस तेजी से बढ़ रहे हैं इस बात का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि दुनिया की...

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रूस-यूक्रेन संघर्ष: तेल के बढ़ते दाम और रुपये की गिरावट के बीच सरकार के पास क्या उपाय हैं?

-द वायर, नरेंद्र मोदी सरकार की एक आलोचना यह कहकर की जाती है कि इसके पास राज्य चुनावों के बीच शासन करने का बिल्कुल समय नहीं होता है. पिछले कुछ दिनों में जब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई और रुपया कमजोर होकर 77 रुपये प्रति डॉलर तक गिर गया, उस समय सरकार के आधा दर्जन मंत्री दिल्ली की जगह वाराणसी...

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अपने बच्चों को मोटापे और रोगों से मुक्त रखने के लिए पैकेट पर ‘चेतावनी लेबल’ की मांग उठानी होगी!

-जनपथ, बच्चों में बढ़ते मोटापे और उसकी वजह से वयस्क होने पर उनमें असंचारी बीमारियों (NCD) का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है। इससे भारतीय माता-पिता बेहद चिंतित हैं। इसको लेकर अब वह चाहते हैं कि प्रोसेस्ड (प्रसंस्कृत) खाद्य पदार्थों के नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा कड़े नियम बनाए जाने चाहिए। वसा, चीनी और नमक का ज्यादा मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ज्यादातर पैकेटबन्द खाद्य पदार्थों में अतिरिक्त कैलोरी...

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कर्नाटक के नए पशुवध कानून से आती रोज़गार में कमी

-इंडियास्पेंड, तमाम परेशानियों के बावजूद शाहिद कुरैशी की सुरमा लगी आंखों में उम्मीदों के कुछ निशान अभी बाकी थे। यह जानते हुए भी कि वह अब कभी अपने पुराने काम पर नहीं लौट पाएंगे। पूर्वी बेंगलुरु के टेनरी रोड के बूचड़खाने में दशकों से उनके हाथ मांस के इस मुश्किल और मेहनत से भरे काम को अंजाम देते आ रहे थे। काम करते-करते उनकी हथेलियां सख्त और खुरदरी हो गईं हैं। ये...

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