सूखे का संकट रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून॥ हिमांशु ठक्कर वर्षों पूर्व रहीम की वाणी ने जिस संकट के प्रति आगाह किया था, वह आज फिर यथार्थ के रूप में हमारे सामने है. कुछ माह पहले तक सूखे का जो संकट मराठवाड़ा और बुंदेलखंड जैसे कुछ इलाकों तक सीमित था, वह अब देश के दस से ज्यादा राज्यों में फैल चुका है. सूखे और...
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झारखंड में, गरमी में पानी के लिए तरसेंगे लोग
रांची. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट (2013-14) में कहा गया है कि झारखंड में वर्तमान रफ्तार से भूगर्भ जल का दोहन होता रहा, तो भविष्य में पानी मिलना मुश्किल हो जायेगा़ अगले एक दशक में रांची में भूगर्भ जल खत्म हो जायेगा. राज्य में हर साल औसतन 1400 मिमी बारिश होती है, पर जलस्तर औसतन छह फुट कम हो रहा है. 80% जल बेकार बह रहा है. बोर्ड...
More »ऐसे तो निर्मल नहीं होगी गंगा-- भरत झुनझुनवाला
सरकार गंगा को निर्मल बनाना चाहती है. ‘निर्मल' का अर्थ हुआ कि पानी शुद्ध है. शुद्धता बहाव से आती है. जैसे ठहरा हुआ पानी एक सप्ताह बाद सड़ने लगता है, लेकिन फुहारे से नाचता पानी शुद्ध रहता है, यह बात नदियों की निर्मलता पर भी लागू होती है. सरकार का प्रयास है कि गंगा के पानी को साफ कर दिया जाये. नगरपालिकाओं को सीवर प्लांट लगाने के लिए धन आवंटित...
More »कृषि पर मंडराते संकट से निबटें- भरत झुनझुनवाला
प्रशांत महासागर के द्वीपीय राज्यों के प्रमुखों से वार्ता करने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लोबल वार्मिंग के प्रति भारत की गंभीरता का आश्वासन दिया. ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय एवं अंटार्कटिका में जमे हुए ग्लेशियर के पिघलने का अनुमान है. इस पानी के कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा और कई द्वीप जलमग्न हो सकते हैं. मोदी की आगामी अमेरिकी यात्रा में भी ग्लोबल वार्मिंग पर अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा से...
More »कितना कारगर होगा नगा समझौता- दिनकर कुमार
नगा विद्रोही संगठन नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल आॅफ नगालिम (एनएससीएन) के इसाक-मुइवा गुट के साथ शांति प्रक्रिया आखिरकार अंतिम चरण में पहुंच गई है और उम्मीद की जा रही है कि कुछ ही महीने में समझौते के सारे प्रावधानों को सार्वजानिक तौर पर उजागर कर दिया जाएगा। नगा शांति प्रक्रिया की तरह पूर्वोत्तर के किसी उग्रवादी संगठन के साथ बातचीत की इतनी लंबी प्रक्रिया नहीं चली, न ही इतने सारे विवाद और...
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