रांची। इंसानियत को शर्मसार करने वाला एक मामला झारखंड में सामने आया है। वहां 17 साल की एक किशोरी ने सड़क पर बच्चे को जन्म दिया। लड़की के गर्भवती होने के बाद उसके परिवार और प्रेमी दोनों ने ही उसे अपनाने से इंकार कर दिया था। यहां तक कि स्वास्थ्य केंद्र कर्मचारियों ने भी उसकी सहायता करने से इंकार कर दिया। बिना किसी की मदद के वह सड़क पर बच्चे को...
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आंगनबाड़ी, आशा व मिडडे मिल वर्कर्स का भी जमा होगा PF
नरेंद्र मोदी सरकार जल्द ही आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताआें, आशा आैर मिड डे मिल वर्कर्स को भी भविष्य निधि का लाभ देने की तैयारी में है. इससे देशभर में करीब 62 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताआें, आशा आैर मिड डे मिल वर्कर्स को लाभ होगा. इनके लिए काम करने वाली एक संस्था ने सेंट्रल बोर्ड आफ ट्रस्टी सीबीटी को एक ज्ञापन दिया है. सीबीटी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी...
More »मेडिकल में खुलासा : एक साल में 208 प्रसूताओं की हो जाती है मौत
पटना :स्वास्थ्य विभाग ने प्रसूताओं की हो रही मौत के कारण का जब पता लगाया, तो सच्चाई सामने आयी. इसमें बताया गया कि जिला अस्पताल और पीएचसी में कई ऐसी प्रसूता आती हैं, जिनकी डिलेवरी से पहले जांच नहीं की जाती है. इसके लिए आशा को जिम्मेवार माना गया है. आशा प्रोत्साहन राशि के लिये गर्भवतियों का रजिस्ट्रेशन तो करा रही हैं, लेकिन जांच या...
More »देर से शादी के चलते जानलेवा हो रहा है हाइपरटेंशन
भोपाल। आरामतलब जिंदगी और उसके बाद देर से शादी गर्भवती महिला व शिशु के लिए खतरनाक साबित हो रही है। लाइफ स्टाइल के चलते उन्हें 25 से 30 साल की उम्र में ही हाइपरटेंशन (हाई बीपी) हो रहा है। इस उम्र में मां बनने पर मां के साथ ही गर्भस्थ शिशु की जिंदगी भी खतरे में रहती है। पिछले साल (2015-16) के मैटरनल डेथ रिव्यू में सामने आया है कि...
More »कैसे रुके शिशु मृत्यु दर-- रमेश सर्राफ धमोरा
किसी भी समाज की खुशहाली का अनुमान उसके बच्चों और माताओं को देख कर लगाया जा सकता है। पर जिस समाज में हर साल तीन लाख बच्चे एक दिन भी जिंदा नहीं रह पाते और करीब सवा लाख माताएं हर साल प्रसव के दौरान मर जाती हैं, उस समाज की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब देश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, तब ऐसा...
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