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नमस्कार-चमत्कार और प्रणाम...- गोपालकृष्ण गांधी

बात खादी-परंपरा से जुड़ी राजनीति की ही नहीं। हर दल की विश्वसनीयता ने क्षति देखी है। डॉ. लोहिया को कौन समाजवादी आज याद नहीं करता? अटलजी की आवाज सुनने आज कौन भाजपा समर्थक आतुर नहीं? एमना पागे लाग, गोपू (इनको प्रणाम कर, गोपू।) घर में जब कोई बुजुर्ग तशरीफ लाते तो पिताजी मुझे गुजराती में यह हिदायत देते। हिदायत क्या, आदेश ही समझिए। वह आदेश बहुत सुहावना होता था, क्यूंकि...

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संसद बनाम लोकतंत्र- राजकिशोर

जनसत्ता 27 दिसंबर, 2011: कभी-कभी ऐसा होता है कि शरीर की कुछ कोशिकाएं विद्रोह कर देती हैं। उनका पुनरुत्पादन इतनी तेजी से होने लगता है कि जिस शरीर का वे हिस्सा होती हैं, उसी का विनाश करने लगती हैं। इसे कैंसर कहा जाता है। कैंसर जब दिमाग में फैलता है तो वह पूरे शरीर को प्रभावित करता है। इसी तरह, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि समाज का एक हिस्सा...

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पूरी हुईं मांगें, पाटकर की भूख हड़ताल समाप्त

मुम्बई। राज्य सरकार द्वारा मांगें मान लिए जाने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने अपनी नौ दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त कर दी है। पाटकर मुम्बई के उपनगरीय इलाके खार की झुग्गी-बस्तियों में रहने वालों को वहां से हटाए जाने के खिलाफ भूख हड़ताल कर रही थीं। 'नेशनल एलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट' (एनएपीएम) के सदस्य मधुरेश कुमार ने शनिवार को बताया, "जिलाधिकारी निर्मल देशमुख एक अधिसूचना लेकर आए थे, जिसमें राज्य सरकार द्वारा...

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झोपड़ियों के लिए मेधा भूख हड़ताल पर

गोलीबार नगर में स्थित झोपड़ों पर की गई कार्रवाई के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और उनके सहयोगी भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। ि पछले सप्ताह कलेक्टर ने कार्रवाई करते हुए यहां के 25 मकानों को बुलडोजर से तुड़वा दिया था। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री की ओर से कोई कार्रवाई न करने के आदेश के बावजूद की गई थी। ...

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असंगति का संगीत- रोहिणी मोहन

कुछ मामलों में एक जैसे और ज्यादातर मामलों में एक-दूसरे से जुदा शांति और प्रशांत भूषण के छुए-अनछुए पहलुओं की पड़ताल करती रोहिणी मोहन की रिपोर्ट मई, 1995 की एक दोपहर को सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु ठक्कर अपने वकीलों प्रशांत और शांति भूषण के साथ सर्वोच्च न्यायालय में बैठे हुए थे. उनसे जरा-सी दूरी पर मुख्य न्यायाधीश एएस आनंद एक ऐसा फैसला सुना रहे थे जो पूर्वी गुजरात के कम से कम...

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