SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 340

नोटबंदी से लांग टर्म फायदा-- गुरचरण दास

पूरे एक साल बाद भी विमुद्रीकरण (सामान्यतया िजसे नोटबंदी कहा जाता है) का फायदा अभी भले न दिख रहा हो, लेकिन आगे चलकर इसका फायदा दिखना अभी बाकी है. क्योंकि, शुरू से ही इसके लांग टर्म में फायदा होने की बात शामिल रही है. विशेषज्ञों ने ऐसा माना है. यह बेहद स्वाभाविक है कि किसी भी बड़े और राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक विभिन्नताओं वाले देश में किसी ठोस और कठोर फैसले लेने से...

More »

अभिजीत मुखोपाध्याय-- अभिजीत मुखोपाध्याय

विमुद्रीकरण की घोषणा के ठीक एक साल बाद, यह पूरी तरह स्पष्ट है कि यह कदम विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक हथकंडा था. जिसका मकसद प्रधानमंत्री को काला धन से लड़नेवाले एक ऐसे जेहादी अवतार के तौर पर पेश करना था, जो भ्रष्ट अमीरों की जान के पीछे पड़ा है.   8 नवंबर, 2016 को स्पष्ट उनके अपने शब्दों में- ‘इसलिए, भ्रष्टाचार, काला धन, नकली नोटों और आतंकवाद के विरुद्ध इस लड़ाई...

More »

विषमता की बढ़ती खाई-- जयराम शुक्ल

मुट्ठी भर गोबरी का अन्न लेकर लोकसभा पहुंचे डॉ राममनोहर लोहिया ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरूसे कहा- लीजिए, आप भी खाइए इसे, आपके देश की जनता यही खा रही है। पिछले दिनों जब विश्व के भुखमरी सूचकांक (हंगर इंडेक्स) में 119 देशों में भारत के सौवें स्थान पर होने के बारे में पढ़ा तो 1963 का नेहरू-लोहिया का वह प्रसंग जीवंत हो गया, जिसमें लोहिया ने तीन आने बनाम पंद्रह...

More »

हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सालभर से खाली हैं शीर्ष संवैधानिक संस्थाएं

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। प्रदेश की कई संवैधानिक संस्थाएं लंबे समय से प्रभारियों के भरोसे चल रही हैं। हाईकोर्ट ने भी कई बार सरकार को लोकायुक्त संगठन और मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाओं में पूर्णकालिक मुखिया की नियुक्ति करने के निर्देश दिए, लेकिन सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। प्रदेश का शीर्ष संवैधानिक राज्यपाल का पद भी बीते एक साल से खाली है। लोकायुक्त का पद खाली सरकार का दावा...

More »

आधार के प्रयोग को रोकना उचित नहीं-- हरिवंश

यह बौद्धिक विमर्श और संवाद अपनी जगह है, पर बिचौलियों और भ्रष्टाचार को खत्म करना आज समाज की निगाह में व्यवस्था का सबसे प्रासंगिक और जरूरी मसला नहीं है? हाल ही में एक डच दार्शनिक विचारक व इतिहासकार रटजर बर्जमैन की महत्वपूर्ण किताब आयी है, ‘यूटोपिया फॉर रिअलिस्ट्स' (ब्लूम्सबेरी). यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर मानी गयी है. इस पुस्तक का मर्म है कि हम एक अप्रत्याशित उथल-पुथल के दौर में...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close