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आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सिर्फ 28 फ़ीसदी प्रवासी मज़दूरों को ही राशन मिला

द वायर, कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के कारण अपने घरों को लौटने को मजबूर हुए और खाद्यान्न संकट से जूझ रहे प्रवासी मजदूरों में से सिर्फ करीब 28 फीसदी लोगों को ही अभी तक आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत राशन मिला है. व्यापक आलोचना और महामारी के दौरान सभी लोगों को राशन मुहैया कराने के लिए उठी मांगों के बाद केंद्र सरकार ने 15 मई 2020 को घोषणा किया था कि...

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कोविड-19 संकट के बीच सेक्स वर्करों ने की कल्याण योजनाओं में शामिल करने की मांग

-कारवां, मई के मध्य में दिल्ली के जीबी रोड इलाके में रहने वाले हजारों सेक्स वर्करोंं ने कोविड-19 संकट के दौरान, बेरोजगार और गरीब लोगों के लिए भोजन प्रदान करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं से सहायता मांगी. कुछ सेक्स वर्करोंं ने मुझे बताया कि वे अपनी आजीविका को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि आने वाले महीनों में यह महामारी उनकी आय को प्रभावित करेगी. एक सेक्स वर्कर ने अपना नाम न छापने...

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प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव की रिपोर्टिंग को लेकर स्क्रोल की पत्रकार सुप्रिया शर्मा पर एफआईआर

-सत्याग्रह,  कोरोना वायरस महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए गांव की स्थिति पर रिपोर्ट करने पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार सुप्रिया शर्मा के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज़ की है. यह एफआईआर 13 जून को वाराणसी के रामपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज़ हुई है. सुप्रिया शर्मा हमारी सहयोगी न्यूज़ वेबसाइट स्क्रोल डॉट इन की कार्यकारी संपादक हैं. पुलिस के मुताबिक उनके ख़िलाफ वाराणसी के डोमरी गांव की रहने...

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बिहार में पीडीएस का हाल, मांगा अनाज, मिली जेल

-बीबीसी,  बीती 7 जून को बिहार के अरवल के अनुमंडल कार्यालय में राशन कार्ड बनाने और उसका सत्यापन करवाने के लिए भीड़ उमड़ी थी. हज़ारों की इस भीड़ के लिए सरकारी 'सोशल डिस्टैंसिंग' की बात बेमानी थी. राशन कार्ड के लिए लाइन में सबा परवीन भी खड़ी थी. इस कोरोना कॉल में उनके लिए सरकारी खाद्यान्न सहायता अब जीने-मरने का सवाल बन चुकी है. जीने-मरने का ये सवाल सिर्फ़ अरवल जिले के लोगों के...

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सहरिया आदिवासी: लॉकडाउन की मार से त्रस्त

इस बार गर्मियों के दिन पूरन के लिए कुछ अलग हैं, इस साल कोई 'फड़' नहीं लगी गांव में. वैसे हर साल इन दिनों में 'फड़' लगती थी और पूरन अपने परिवार सहित तेंदू पत्ता तोड़ने जंगल जाते थे, इस बार कोरोना वायरस की वजह से ऐसा नहीं हुआ. पूरन शिवपुरी जिले के कुंवरपुर गांव में रहते हैं, वो सहरिया आदिवासी हैं. इन दिनों वो कुंवरपुर की 'सहराना' बस्ती मे लॉकडाउन...

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