जैसे-जैसे राजनीति और मीडिया का असर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे यह शक सर उठा रहा है कि राजनेताओं और मीडिया में अहंकार और खुद को भगवान समझने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. हाल में एक अंगरेजी चैनल में एक कार्यक्रम के दौरान सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ता ने तमक कर एंकर को कहा कि वे जानते हैं कि इस चैनल का अपना (राजनीतिक, वैचारिक) एजेंडा है. एंकर ने इस पर उनसे...
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मुसलिम महिलाओं के अधिकार-- रशीद किदवई
त्तर प्रदेश की भाजपा सरकार अगर वास्तव में मुसलिम महिलाओं को उनके हक के लिए अपनी लड़ाई छेड़े हुए है और उनको उनका हक दिलाना चाहती है, तो राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कृषि भूमि में भी इन महिलाओं को उत्तराधिकारी बनाये जाने की वकालत करनी पड़ेगी. न सिर्फ वकालत, बल्कि इसके लिए पहले से बने कानून को भी उन्हें सख्ती से लागू करना होगा. इसके साथ ही नये...
More »विकास सूचकांक में पिछड़ने की टीस--- जयश्री सेनगुप्ता
वर्ष 2016 को लेकर जारी की गई संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक सूची में कुल 188 देशों में भारत पिछले साल के 130वें स्थान से एक पायदान नीचे लुढ़ककर 131वें नंबर पर जा पहुंचा है, जबकि नॉर्वे को पहला स्थान मिला है। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल की आखिरी तिमाही में नोटबंदी और इसके विपरीत असर के बावजूद हमारी कुल सकल आय यानी जीडीपी में 7.1 प्रतिशत की प्रभावशाली...
More »बहुत दूर दिखती है मंजिल, सतत विकास सूचकांक में भारत 110वें स्थान पर
सतत विकास वैश्विक सामाजिक प्रगति रिपोर्ट में भारत के 98वें स्थान (133 देशों में) पर होने की निराशाजनक खबर के बाद अब चिंताजनक सूचना यह आयी है कि सतत विकास सूचकांक में हमारा देश 110वें (149 देशों में) पायदान पर खड़ा है. वर्ष 2030 तक गरीबी, भूख, अशिक्षा से मुक्ति के साथ बेहतर पर्यावरण का वैश्विक लक्ष्य पाने के हमारे प्रयासों पर यह एक गंभीर टिप्पणी है. इस रिपोर्ट की मुख्य...
More »स्त्री का मिथक गढ़ता टीवी-- सुजाता
एक वयस्क व्यक्ति से पूछा जानेवाला सबसे वाजिब सवाल है कि वह अपने जीवन का क्या करना चाहता है. लेकिन, भारतीय स्त्री को कभी इतना वयस्क समझा नहीं गया कि उससे यह सवाल पूछा जाये. बचपन से लेकर शादी के बाद तक उसे इस सवाल का जवाब खुद तलाशने की न इजाजत होती है न अवसर. उसे क्या बनना है और क्या करना है- यह परिवार, समाज, धर्म, स्कूल जैसी...
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