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नई रिपोर्ट में वैश्विक तापमान बढ़ने की आशंका, भारत में लू बनेगी घातक

मोंगाबे हिंदी, 19 जून संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट ने आशंका जताई है कि अगले पांच साल अब तक के सबसे गर्म हो सकते हैं। इस दौरान वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर सकती है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने ये अपडेट जारी किया है। इसमें अल-नीनो के असर पर भी चर्चा की गई है। अपडेट में कहा गया है कि गर्मी बढ़ाने वाली...

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हर दस साल में 0.2 डिग्री सेल्सियस की रिकॉर्ड दर से गर्म हो रही है दुनिया, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

डाउन टू अर्थ, 12 जून ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के बढ़ते स्तर ने तापमान को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अब दुनिया के 50 शीर्ष वैज्ञानिकों ने बढ़ते तापमान से जलवायु विज्ञान पर पड़ने वाले असर को लेकर चेतावनी दी है। अध्ययन के मुताबिक 2013 से 2022 तक मानवजनित तापमान प्रति दशक 0.2 डिग्री सेल्सियस से अधिक की दर से बढ़ रहा है। इसी अवधि में कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) का औसत वार्षिक...

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भारत में 51 वर्षों के दौरान चरम मौसम से जुड़ी 573 आपदाओं में 138,377 लोगों ने अपनी जान गंवाई

डाउन टू अर्थ, 23 मई  विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने पिछले 51 वर्षों का आंकड़ा जारी करते हुए जानकारी दी है कि 1970 से 2021 के बीच भारत में जलवायु से जुड़ी 573 चरम आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा, तूफान, लू, भीषण गर्मी, भूस्खलन और दावाग्नि की वजह से 138,377 लोगों ने अपनी गंवाई है।  डब्ल्यूएमओ द्वारा यह जानकारी हर चार वर्षों में होने वाली विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस में जारी किए...

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केरल में दक्षिण पश्चिम मॉनसून आने में थोड़ी देरी, चार जून को दे सकता है दस्तक: मौसम विभाग

डाउन टू अर्थ 16 मई  भारतीय दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जो भारत में फसल के लिए अहम है। इसकी शुरुआत केरल से होती है, जो गर्म और शुष्क मौसम को बरसात के मौसम में बदल देता है। जैसे-जैसे मॉनसून उत्तर की ओर बढ़ता है, कई इलाकों में पड़ रही चिलचिलाती गर्मी से लोगों को राहत महसूस होती है। दक्षिण पश्चिम मॉनसून आमतौर पर एक जून को केरल में आता है यह लगभग सात दिन...

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सुपर साइक्लोन मोका ने म्यांमार में मचाई तबाही, बांग्लादेश को बख्शा

कार्बनकॉपी, 15 मई सुपर साइक्लोन ‘मोका’ रविवार को म्यांमार और बांग्लादेश के तटों से टकराया। लैंडफॉल से पहले यह कटैगरी-5 के तूफान जितना तेज हो गया था। बताया जा रहा है कि यह इस साल धरती पर अब तक का सबसे तेज चक्रवात रहा है। हालांकि, तटों से टकराने के कुछ घंटों बाद यह कमजोर होकर डिप्रेशन में बदल गया। चक्रवात के कारण म्यांमार की दक्षिण-पूर्वी तटरेखाओं को व्यापक नुकसान पहुंचा है और निचले...

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