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आवरण कथाः कहीं डूब न जाए पूरा वित्तीय तंत्र

-इंडिया टूडे, लगातार देश का बैंकिंग क्षेत्र अमूमन बुरी खबरों से ही सुर्खियों में उछला रहता है. वजहें: डूबत कर्ज (जिसे बैंकों की शब्दावली में गैर-निष्पादित संपत्तियां या एनपीए कहा जाता है) के बढ़ते अंबार से लेकर निपट धोखाधड़ी, क्रोनी कैपिटलिज्म और न जाने क्या-क्या. यह बीमारी तेजी से फैलती जा रही है, जिसमें छोटे-बड़े और कुछ नामधारी बैंक भी हैं. तो, यह सड़न सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तक सीमित...

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कोविड-19 किसानों की मुसीबत एवं सरकारी राहत

-वाटर पोर्टल, देशभर में कोविड-19 महामारी तेजी से फैल रही है । अब कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही हैं । इस संक्रमण का असर देश के किसानों और फसलों पर हो रहा हैं इस वक्त ज्यादतर हिस्सों में फसल पककर तैयार हो चुकी हैं और कटने को तैयार हैं । हालांकि, संक्रमण के डर और लॉकडाउन के चलते किसानों को अपनी फसल काटने में अनेक समस्याएं...

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आंध्र प्रदेश के डॉक्टर ने सुनाई कोविड स्टाफ के साथ राज्य के विश्वासघात की कहानी

-कारवां, इस मई में जब सैन्य हैलीकॉप्टर कोविड-19 अस्पतालों पर फूल बरसा रहे थे तब मैं अपने परिवार के साथ आंध्र प्रदेश के अनंतपुर शहर में था. यह महामारी की वह घटना थी जिसमें सरकार के साथ-साथ नागरिकों ने भी स्वास्थ्य कर्मियों को वीरों और अपने कर्तव्य के प्रति बलिदान होने वाले "योद्धाओं" के रूप में माना. जब तमाम न्यूज चैनल स्वास्थ्य कर्मियों को सम्मानित करने के सरकार के काम की सराहना...

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दुनिया का हर छठा बच्चा घोर ग़रीबी में, महामारी से यह संख्या बढ़ने की आशंका: रिपोर्ट

-द वायर, कोविड-19 महामारी शुरू होने से पहले दुनिया का हर छठा बच्चा (करीब 35.6 करोड़) घोर गरीबी में जीवनयापन कर रहा था और यह स्थिति और खराब होने की आशंका है. यह आकलन विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की नवीनतम विश्लेषण रिपोर्ट में किया गया है. ‘ग्लोबल एस्टीमेट ऑफ चिल्ड्रेन इन मॉनिटरी पॉवर्टी : ऑन अपडेट’ नाम से जारी रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि उप सहारा...

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क्या उबर पाएगा हिंदुस्तान?

-इंडिया टूडे, अर्थव्यवस्था: विशेषज्ञों की राय पहले से ही संकटों में घिरी भारत की अर्थव्यवस्था को कोविड ने जोरदार झटका दिया है और देश के सामने एक बड़ी मंदी मुंह बाए खड़ी है. इंडिया टुडे के अर्थशास्त्रियों का बोर्ड (बीआइटीई) इस बात का अंदाजा लगा रहा है कि यह कितने दिनों तक चलने वाला है और इस बीमार अर्थव्यवस्था को चंगा करने के लिए उनकी क्या सलाह है   मैत्रीश घटक, प्रोफेसर, लंदन स्कूल...

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