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हीरा ज़रूरी या जंगल: 55,000 करोड़ वाली हीरे की ख़दानों की पड़ताल

-बीबीसी, एक डरावना सा जंगल कैसा होता है, सिर्फ़ किताबों में पढ़ा था और डिस्कवरी चैनल पर ही देखा था. कहानियाँ भी सुनी थीं, उनकी- जिनकी ज़िंदगी में इस जंगल के सिवा कुछ नहीं होता. एक दोपहर सन्नाटे को चीरते हुए उस घने जंगल में सागौन के दरख़्तों से निकलकर थोड़ी रोशनी में पहुँचे तो फटे-पुराने कपड़े पहने हुए एक व्यक्ति को कुछ पत्तियाँ और टहनियाँ बीनते हुए पाया. पता चला वो भगवान दास...

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वाल्मीकि जयंती की छुट्टी पर भी सफाईकर्मियों से करवाया जा रहा काम!

-गांव सवेरा,  "ठेकेदारी प्रथा खत्म हो, सफाईकर्मियों का शोषण बंद हो और सबको समान वेतन मिले इसके लिए हम लोग लगातर संघर्ष कर रहे हैं." आज देश भर में महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही है. वहीं दूसपी ओर इस अवसर पर भी महर्षि वाल्मीकि को मानने वाले और वाल्मीकि समुदाय से आने वाले सफाईकर्मियों से सफाई का काम करवाया जा रहा है. वाल्मीकि जयंती पर पूरे देश में केंद्र और राज्य...

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नमामि गंगे परियोजना के काम में मैला ढोने से हुई मौत लेकिन न मिला मुआवजा, न हुआ मामला दर्ज

-कारवां, इस साल मई में पटना के बेउर इलाके में केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना में काम करते हुए दो मजदूरों की गटर में घुसने के बाद मौत हो गई. वहां काम करने वाले तीन मजदूरों के मुताबिक उन्हें आवश्यक बचाव उपकरणों के बिना ही गटर में घुसने को कहा गया था. एक मजदूर ने मुझे बताया कि लार्सन एंड टुब्रो, जिसके पास बेउर साइट का ठेका है, के इंजीनियर ने...

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मोदी सरकार की 6 ट्रिलियन रु. की मौद्रीकरण योजना खतरों के बीच ख्वाब देखने जैसा क्यों है

-द प्रिंट, निजीकरण और ‘मौद्रीकरण’ में फर्क यह है कि निजीकरण में तो सरकार व्यवसाय से अलग हो जाती है, जबकि मौद्रीकरण सरकार को उसका सक्रिय खिलाड़ी बनाए रखता है. इस लिहाज से निजीकरण मौद्रीकरण से कहीं आसान है. फिर भी, निजीकरण के मामले में दुखद रिकॉर्ड (एअर इंडिया, भारत पेट्रोलियम आदि) रखने वाली और विनिवेश के लक्ष्य से कोसों पीछे रह गई सरकार मौद्रीकरण के जरिए चार साल में 6...

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अफगानिस्तान: बैठे रहो और देखते रहो?

-जनपथ, भारत सरकार की अफगान नीति पर हमारे सभी राजनीतिक दल और विदेश नीति के विशेषज्ञ काफी चिंतित हैं। उन्हें प्रसन्नता है कि तालिबान भारतीयों को बिल्कुल भी तंग नहीं कर रहे हैं और भारत सरकार उनकी वापसी में काफी मुस्तैदी दिखा रही है। वह जो भी कर रही है, वह तो किसी भी देश की सरकार का अनिवार्य कर्तव्य है लेकिन उसके कर्तव्य की इतिश्री यहीं नहीं हो जाती है। अफगानिस्तान...

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