देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. सरकार ने इससे निबटने के उपाय के रूप में अपने खर्चो में कटौती का एलान किया है. इसमें कहा गया है कि अगले एक साल तक केंद्र सरकार कोई नयी नियुक्ति नहीं करेगी. यानी एक तरफ रोजगार छिन रहे हैं, दूसरी ओर रोजगार के नये अवसरों पर भी फिलहाल विराम लग गया है. ।।सेंट्रल डेस्क।। अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. यह समय...
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बहती धारा को बलपूर्वक रोका गया : वासवी
स्त्री एवं पुरुष समाज रूपी रथ के दो पहिया हैं. एक पहिया कमजोर हो जाय या टूट जाय तो रथ के आगे बढ़ने की संभावना क्षीण हो जाती है. इसके बाद भी बेटे को लेकर हमारा समाज जितना संजीदा है उतनी बेटियों को लेकर नहीं है. यही वजह है कि बेटियों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण एवं सुरक्षा की समस्या गंभीर बनी हुई है. बेटियों के मामले में कल्याणकारी राज्य के भी जो...
More »मुफ्त उपहार के वायदे से दूषित होती है चुनाव-प्रक्रिया- उच्चतम न्यायालय
नयी दिल्ली। न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि चुनावी घोषणा पत्र चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले प्रकाशित होते हैं, ऐसे में आयोग इसे अपवाद के रूप में आचार संहिता के दायरे में ला सकता है । उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग को घोषणा पत्रों के कथ्य के नियमन के लिए दिशा निर्देश तैयार करने का निर्देश देते हुये कहा कि राजनीतिक दलों...
More »अब ना रहें अनचाही हमारी बेटियां- बाबूलाल नागा
हाल ही में 2 मई को चिकित्सा विभाग की पीसीपीएनडीटी इकाई की स्टेट विंग ने जयपुर शहर में दो स्थानों पर स्टिंग आपरेशन कर भ्रूण परीक्षण करते हुए दो डाॅक्टरों को रंगे हाथों पकड़ा। सांगानेर में फागी रोड पर किरण नर्सिंग होम व आदर्शनगर के अनिल हाॅस्पिटल में भ्रूण परीक्षण किया जा रहा था। विभाग की तमाम सख्ती के बावजूद भी भू्रण परीक्षण पर रोक नहीं लग पा रही है। कन्याओं की हत्या में अव्वल होने का...
More »इस आंदोलन के निहितार्थ- आनंद प्रधान
जनसत्ता 3 जनवरी, 2012: दिल्ली की वह बहादुर लड़की शरीर और मन पर हुए प्राणांतक घावों के बावजूद जीना चाहती थी। देश के करोड़ों लोग भी यही चाहते थे। लेकिन वह लड़ते हुए एक शहीद की तरह चली गई। यह सही है कि वह भारतीय समाज में स्त्रियों के खिलाफ होने वाली बर्बर यौन हिंसा और भेदभाव की पहली शहीद नहीं है और न आखिरी। उसके जाने के बाद भी दिल्ली,...
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