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किसानों को दिहाड़ी मजदूर न बनाएं - देविंदर शर्मा

22 मार्च को किसानों के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात" रेडियो पर प्रसारित होगी और देश में खेती-किसानी और कृषकों के हालात सुधारने के बारे में उनके विचारों से मैं अवगत होना चाहूंगा। मैं नहीं जानता कि मेरे विचार उनके किसी निर्णय को बदल अथवा प्रभावित कर सकते हैं या नहीं, लेकिन यहां मैं किसानों की दुर्दशा और परेशानी अवश्य साझा कर सकता हूं। इसके साथ...

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ग्रामोद्योग की फिक्र किसे है- अरुण तिवारी

निवेश और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न शुल्क और मंजूरियों में छूट से लेकर तकनीकी उन्नयन और इ-बिज पोर्टल जैसी तमाम घोषणाएं बजट में है। मंजूरियों में छूट को लेकर एक विधेयक लाने की तैयारी का संकेत भी कर दिया गया है। कहना न होगा कि वित्तमंत्री ने उद्योगों की तो खूब चिंता की, परग्रामोद्योगों को अब भी प्रतीक्षा है कि कोई आए और अलग से उनकी चिंता...

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उदारीकरण में पिसती ग्रामीण अर्थव्यवस्था- सुषमा वर्मा

विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...

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कर्ज लेकर घी पीने से नहीं बनेगी बात - डॉ. भरत झुनझुनवाला

चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। हमने चीन से 54 अरब डॉलर के आयात किए, जबकि निर्यात मात्र 17 अरब डॉलर के किए। इस घाटे को पाटने के लिए सरकार ने चीन से आग्रह किया है कि वह भारत में विदेशी निवेश बढ़ाए। गत वर्ष शी जिनपिंग की भारत यात्रा के दौरान चीन ने गुजरात तथा महाराष्ट्र में औद्योगिक क्षेत्रों, हाईस्पीड ट्रेनों तथा दिल्ली-चेन्न्ई कॉरिडोर...

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सस्ते कर्ज के दम पर दुनिया में दबंगई - मोहन गुरुस्‍वामी

कल्पना करें कि आप किसी द्वीप पर रह रहे हैं और एक ऐसे छोटे-से समूह का हिस्सा है, जिसके हर सदस्य को कोई खास जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस सिस्टम में कोई कपड़े बनाता है, कोई जूते तो कोई बर्तन। कोई अनाज उगाता है तो कोई अन्य वस्तुओं और सेवाओं के विनिमय के लिए नोट छापता है। जूते बनाने वाला पैसे लेकर जूते बेचता है और उन पैसों से अपना...

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